शिव धनुष का भंजन कर श्रीराम ने दूर किया राजा जनक का संताप

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मीरजापुर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। श्रीविंध्य प्राचीन रामलीला समिति की ओर से मोती झील मार्ग स्थित लीला स्थल पर रामलीला का मंचन देखने भक्तों की भीड़ जुटी रही। तीसरे दिन सीता स्वयंवर मंचन दौरान जहां फूलों की बरसात हुई, वहीं तड़का वध होते ही श्रीराम के जयकारे लगने लगे।

भव्य मंच पर सोमवार की शाम से देर रात तक अहिल्या उद्धार सहित तड़का व सुबाहू वध का मंचन किया गया। लीला के दौरान बीच-बीच में श्रीराम के जयघोष से पंडाल गुंजायमान हो रहा था।

गुरु विश्वामित्र के साथ श्रीराम और लक्ष्मण धनुष यज्ञ में पहुंचे, जहां पर सीता स्वयंवर होना है। राजा जनक सबसे सुंदर मंच पर ऋषि मुनि गुरु विश्वामित्र और राम व लक्ष्मण को बैठाते हैं। बंदीजन राजा जनक की प्रतिज्ञा को सभा मध्य घोषणा करते हैं कि जो शिवजी के धनुष का भंजन करेगा, उसी के साथ सीता का विवाह होगा। रावण, बाणासुर सहित संसार का कोई भी राजा धनुष को अपनी जगह से हिला भी नहीं सका। यह देखकर राजा जनक व्याकुल होकर कहते हैं कि यदि मैं जानता कि पृथ्वी वीरों से खाली है तो इस तरह की प्रतिज्ञा कभी नहीं करता। जनक यह बात सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होकर कहते हैं कि अगर भैया आदेश दें तो धनुष क्या चीज है मैं पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह उठा लूंगा। राजा जनक की व्याकुलता को देखकर गुरु विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं कि हे तात शिव धनुष का भंजन कर राजा जनक के संताप को दूर करो। गुरु के आदेश पर राम ज्यो ही धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, धनुष टूट जाता है। धनुष के टूटते ही पूरे पंडाल में जय श्रीराम के जय घोष होने लगते हैं। तत्पश्चात सीता वरमाला श्रीराम के गले में डालती हैं और फूलों की बरसात होने लगती है। इसी के साथ तीसरे दिन की लीला का समापन हो जाता है।

मुख्य अतिथि नगर विधायक रत्नाकर मिश्र ने प्रभु श्रीराम का पूजन और आरती किया। उन्होंने कहा कि हम सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र का अनुकरण करना चाहिए।

मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक आदर्श उपाध्याय ने किया। इस दौरान संरक्षक प्रकाशचंद्र, अध्यक्ष संगम लाल त्रिपाठी, मंत्री कमल मिश्र, निर्देशक राज गिरी, मीडिया प्रभारी संतोष कुमार,अमन सिंह, प्रिन्स मिश्र समेत गणमान्य नागरिक मौजूद थे।