भारतीय शेयर बाजार ने लोकसभा चुनाव नतीजों के दिन हुई छह प्रतिशत गिरावट की भरपाई लगभग कर ली है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के दावेदारों को अभी भी बाजार में प्रदर्शन के लिए इंतजार करना होगा।
कुछ आईपीओ बोलीदाता केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के प्रभाव की समीक्षा करेंगे और अपनी लिस्टिंग योजनाओं को लागू करने से पहले जुलाई में आम बजट पेश होने तक इंतजार करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी सरकार 3.0 अब सहयोगियों पर निर्भर है क्योंकि चुनावों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, नई सरकार से पूंजीगत व्यय के बजाय उपभोग पर अधिक ध्यान देने की उम्मीद है। मौजूदा दौर में बाजार किसी भी तरह की उथल-पुथल को पचा नहीं पा रहा है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार नई सरकार की नीतियां समझ में आ जाएंगी तो विदेशी निवेशकों का निवेश लगातार बना रहेगा और बाजार में स्थिरता का भरोसा मिलने के बाद ही आईपीओ बाजार में हलचल देखने को मिलेगी।
आगामी आई.पी.ओ
सेबी की मंजूरी के बावजूद 9,200 करोड़ रुपये के 11 आईपीओ अभी तक सूचीबद्ध नहीं हुए हैं
2024 में अब तक 29 आईपीओ से 27,651 करोड़ रुपये जुटाए गए
2023 में 57 आईपीओ आए, जिनकी कुल कीमत 49,436 करोड़ रुपये थी।