Budget 2025: क्यों 1973 के इंदिरा गांधी के बजट को कहा गया था ‘ब्लैक बजट’? जानें क्या हुआ था उस वक्त

Indiragandhi

Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। यह बजट मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्ण बजट होगा, जिससे देशभर में भारी उम्मीदें और उत्सुकता जुड़ी हुई हैं। विभिन्न सेक्टर अपनी-अपनी मांगें सरकार के सामने रख रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा बजट भी था, जिसे ‘ब्लैक बजट’ कहा गया था? आइए जानते हैं 1973-74 के उस ऐतिहासिक बजट की कहानी।

1973-74: क्यों कहा गया इसे ‘ब्लैक बजट’?

1973-74 का बजट भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे ‘ब्लैक बजट’ इसलिए कहा गया क्योंकि यह उस दौर की गंभीर आर्थिक चुनौतियों और सरकार की नीतिगत विफलताओं को उजागर करता है।

प्रमुख आर्थिक संकट:

  1. 1971 के भारत-पाक युद्ध:
    इस युद्ध के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा। युद्ध की वजह से सरकारी खजाना खाली हो गया था।
  2. सूखा और प्राकृतिक आपदाएं:
    इस अवधि में देश को सूखे और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा, जिससे कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई।
  3. खाद्यान्न संकट:
    इन समस्याओं के कारण खाद्यान्न उत्पादन में कमी हुई, जिससे बजट घाटा तेजी से बढ़ा।

‘ब्लैक बजट’ में क्या हुआ?

550 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा:

तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बाला साहेब चव्हाण ने बजट पेश करते हुए 550 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का खुलासा किया। उस समय के लिए यह एक बड़ी आर्थिक चुनौती थी।

राष्ट्रीयकरण का ऐलान:

इस बजट में कुछ बड़े फैसले लिए गए, जैसे:

  1. कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण:
    56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। सरकार ने तर्क दिया कि यह कदम ऊर्जा संकट को हल करेगा।
  2. बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण:
    बीमा क्षेत्र को संगठित और मजबूत बनाने के लिए इसे सरकारी नियंत्रण में लाया गया।
  3. इंडियन कॉपर कॉरपोरेशन का राष्ट्रीयकरण:
    खनिज संपदा के अधिकतम उपयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में यह कदम उठाया गया।

ब्लैक बजट का असर

इस बजट के बाद:

  • वित्तीय अनुशासन: सरकार ने खर्चों में कटौती और राजस्व बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठाने शुरू किए।
  • आर्थिक नीतियों में बदलाव: राष्ट्रीयकरण के फैसलों ने लंबे समय तक भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया।
  • महंगाई और आर्थिक दबाव: यह बजट आर्थिक समस्याओं के समाधान के बजाय उन्हें गहराने वाला माना गया।

2025 का बजट: क्या हैं संभावनाएं?

2025 के बजट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं:

  1. टैक्सपेयर्स के लिए राहत:
    उम्मीद है कि आयकर में छूट दी जा सकती है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।
  2. उद्योग और रोजगार:
    सरकार औद्योगिक उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है।
  3. ग्रोथ पर फोकस:
    चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) में भारत की GDP वृद्धि दर 7.3% रहने का अनुमान है। सरकार इस गति को बनाए रखने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडिया पर जोर दे सकती है।

क्या ‘ब्लैक बजट’ जैसी स्थिति दोबारा आ सकती है?

हालांकि 2025 का बजट अलग आर्थिक परिस्थिति में पेश किया जाएगा, लेकिन सरकार को अपनी राजकोषीय स्थिति और बजट घाटे पर नजर बनाए रखनी होगी। बड़े खर्चों और राजस्व में कमी के बीच संतुलन बनाना हर बजट की चुनौती है।