Budget 2025-26: MSMEs को सशक्त बनाने के लिए फेसलेस GST ऑडिट की सिफारिश

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Budget 2025-26: इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EEPC) इंडिया ने आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए फेसलेस GST ऑडिट असेसमेंट शुरू करने की सिफारिश की है। EEPC का मानना है कि यह पहल सरकार के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के साथ-साथ माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) को सशक्त बनाएगी।

फेसलेस GST ऑडिट से प्रक्रियाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाते हुए करदाताओं के लिए आसान किया जा सकता है।

फेसलेस GST ऑडिट: क्या है और क्यों जरूरी है?

1. आयकर विभाग की सफलता से प्रेरित:

  • आयकर विभाग ने पहले ही फेसलेस ऑडिट सिस्टम लागू किया है, जो पारदर्शिता और समय की बचत सुनिश्चित करता है।
  • फेसलेस GST ऑडिट भी इसी मॉडल पर आधारित होगा।

2. डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया:

  • यह प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल होगी।
  • करदाता और अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क खत्म होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।

3. MSMEs के लिए फायदेमंद:

  • फेसलेस सिस्टम कंप्लायंस कॉस्ट को कम करेगा।
  • MSMEs को प्रक्रियाओं में आसानी होगी, जिससे वे ग्रोथ और इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

EEPC इंडिया के सुझाव

1. फेसलेस GST ऑडिट:

EEPC इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा,

“फेसलेस GST ऑडिट सिस्टम टेक्नोलॉजी का उपयोग करके गोपनीयता सुनिश्चित करेगा और MSMEs की कंप्लायंस लागत को कम करेगा। इससे प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित होंगी और व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।”

2. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM):

  • RCM से संबंधित देनदारियों को एमनेस्टी स्कीम के तहत शामिल करने की सिफारिश।
  • EEPC इंडिया का कहना है कि कई निर्यातकों को RCM से संबंधित कारण बताओ नोटिस (SCN) मिले हैं, जिनके समाधान के लिए एमनेस्टी स्कीम आवश्यक है।

3. निर्यातकों को राहत:

  • EEPC ने सुझाव दिया कि निर्यातकों को एमनेस्टी स्कीम के तहत धारा 74 के तहत जारी कारण बताओ नोटिस से राहत दी जानी चाहिए।

फेसलेस GST ऑडिट के संभावित लाभ

  1. पारदर्शिता में वृद्धि:
    • करदाता और अधिकारियों के बीच सीधा संपर्क समाप्त होगा, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।
  2. प्रक्रियाओं की सरलता:
    • ऑडिट प्रक्रियाएं तेज और आसान होंगी।
  3. MSMEs का सशक्तिकरण:
    • MSMEs की कंप्लायंस लागत घटेगी, जिससे वे अपने व्यवसाय को विस्तार देने में सक्षम होंगे।
  4. गोपनीयता सुनिश्चित होगी:
    • डिजिटल प्रणाली डेटा को सुरक्षित और गोपनीय बनाएगी।

RCM और एमनेस्टी स्कीम का महत्व

RCM की चुनौतियां:

  • रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत MSMEs को विभिन्न कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ता है।
  • EEPC ने बताया कि कई MSMEs और निर्यातकों को SCN मिले हैं, जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

एमनेस्टी स्कीम की जरूरत:

  • RCM से जुड़े विवादों को हल करने और निर्यातकों को राहत देने के लिए एमनेस्टी स्कीम लागू की जानी चाहिए।
  • इससे व्यवसायों को कानूनी उलझनों से बाहर निकलने का मौका मिलेगा।

EEPC का योगदान और भूमिका

EEPC इंडिया भारतीय निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख संस्था है।

  • संगठन का उद्देश्य है:
    • निर्यातकों की समस्याओं का समाधान करना।
    • MSMEs को बढ़ावा देना।
    • सरकार और उद्योग के बीच पुल का काम करना।

EEPC ने बजट 2025-26 के लिए दिए गए अपने सुझावों के माध्यम से व्यापार और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।