टूटी उंगली, फटा कान का पर्दा, फिर भी नहीं छोड़ा मैदान, द्रविड़ से पहले इस खिलाड़ी को माना जाता था द वॉल

575939 Anshumannnna

अंशुमान गायकवाड किंग्स्टन मैच 1976: अन्शुमान गायकवाड आज हमारे बीच नहीं रहे। गायकवाड़ की मौत ब्लड कैंसर से हुई थी. अंशुम भले ही आज दुनिया छोड़ गए लेकिन उनकी हिम्मत और जज्बे की कहानियां हमेशा अमर रहेंगी। अंशुमन भारतीय टीम के उस खिलाड़ी का नाम है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और मुश्किलों का डटकर सामना किया। जो कैंसर से हार चुके हैं. आज वडोदरा में उनकी अंतिम यात्रा निकली. जिस पर बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, किरण मोरे और नयन मोंगिया ने दोस्त की चिता पर लकड़ी रखी। उनका अंतिम संस्कार आज वडोदर में किया गया है. 

क्रिकेट के मैदान पर भी हम ऐसी कई कहानियां देखते रहते हैं, जहां क्रिकेटर कड़ी मेहनत और जज्बे के दम पर अचानक चमक उठते हैं। भारतीय टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी थे जिन्होंने टीम को खुद से आगे रखा, उनमें से एक थे अंशुमन गायकवाड़, जिनके साहस और जुनून की बातें आज हर किसी को प्रेरित करती हैं।

अंशुमन की बहादुरी को आज भी याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने एक टेस्ट सीरीज में अपने सामने एक साथी खिलाड़ी को घायल होते देखा था, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक योद्धा की तरह अकेले ही लड़ते रहे। उनके संघर्ष की मिसाल को भुलाया नहीं जा सकता.

ये साल 1976 की बात है, जब वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अंशुमान गायकवाड़ और सुनील गावस्कर की शानदार साझेदारी (Anshuman Gaekwad Kingston Match 1976) ने तहलका मचा दिया था. उस समय वेस्टइंडीज की टीम विश्व क्रिकेट की सबसे ताकतवर टीमों में से एक मानी जाती थी. विशेष रूप से क्लाइव लॉयड के नेतृत्व में उनकी पेस बैटरी ने विपक्षी टीमों को परेशान किया।

1976 के किंग्स्टन टेस्ट में वेस्टइंडीज ने भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ शॉर्ट गेंदों की बौछार कर दी थी. लेकिन गायकवाड़ और गावस्कर गेंद का सामना कर रहे थे और पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े. यह साझेदारी भारतीय क्रिकेट के लिए एक निर्णायक क्षण थी और गायकवाड़-गावस्कर की पारी को हमेशा याद किया जाता है।

शरीर पर कई चोटें, उंगली से बह रहा था खून; कान का पर्दा भी फटा हुआ था. 1976 के किंग्स्टन टेस्ट मैच में जब वेस्टइंडीज के गेंदबाज लगातार भारतीय बल्लेबाजों पर शॉट गेंदें फेंक रहे थे तो उन्होंने भी बल्लेबाजों के शरीर को निशाना बनाने की रणनीति अपनाई। ताकि भय की स्थिति पैदा हो सके

विंडीज गेंदबाजों ने खतरनाक बाउंसर फेंकी जो गुंडप्पा विश्वनाथ को लगी और उन्हें चोट लगने के कारण अस्पताल ले जाया गया। अपने साथी खिलाड़ी को घायल देखकर भी अंशुमन गायकवाड़ ने हिम्मत बनाए रखी और इस मुश्किल वक्त में भी खेलना जारी रखा.

इसी दौरान एक बाउंसर ने उनके कान में चोट मार दी जिससे उनके कान का पर्दा फट गया और बाद में उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। हालांकि गायकवाड ने उस मैच में 81 रन बनाकर भारतीय पारी को संभाला था.

हालांकि इस टेस्ट के दूसरे दिन भारतीय टीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और कई प्रमुख खिलाड़ी घायल हो गए. कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी और भारत मैच हार गया. लेकिन गायकवाड़ की 81 रनों की पारी आज भी उनके साहस को दर्शाती है. जिन्हें राहुल द्रविड़ से पहले द वॉल माना जाता था. गायकवाड़ और सुनील गावस्कर की जोड़ी ने कई कमाल की पारियां खेली हैं.