बॉस सोचते हैं घर से काम करने वाले मौज करते हैं... साइंस कुछ और ही कहती है!

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कोरोना के बाद से हमारी दुनिया में एक चीज़ हमेशा के लिए बदल गई - काम करने का तरीक़ा। कल तक जो 'वर्क फ्रॉम होम' सिर्फ़ कुछ आईटी कंपनियों में सुना जाता था, आज वो लाखों लोगों की हक़ीक़त बन चुका है। लेकिन आज भी बहुत से बॉस और मैनेजरों के मन में यह शक रहता है - "जो घर पर है, वो सच में काम कर रहा है या पजामे में बैठकर नेटफ्लिक्स देख रहा है?"

अगर आपके मन में भी यह सवाल है, तो चलिए आज साइंस और रिसर्च की दुनिया में चलते हैं। कई स्टडीज़ ने इस 'रिमोट वर्क' के असर की गहराई से पड़ताल की है, और नतीजे इतने कमाल के हैं कि वे वर्क-कल्चर के बारे में हमारी पूरी सोच को बदल सकते हैं।

यह सिर्फ़ आराम के बारे में नहीं है, इसके पीछे पक्का विज्ञान है!

1. दिमाग़ी सेहत पर सीधा असर: कम तनाव, ज़्यादा ख़ुशी

ज़रा सोचिए... सुबह की भागदौड़ नहीं, घंटों ट्रैफ़िक में फँसे रहने का झंझट नहीं, ऑफिस की बेकार की राजनीति और गपशप से दूरी... ये सब आपके मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं! अध्ययनों से पता चला है कि घर से काम करने वाले लोग ऑफिस जाने वालों की तुलना में कम तनावग्रस्त और ज़्यादा खुश रहते हैं। वे अपने काम और अपनी ज़िंदगी पर ज़्यादा नियंत्रण महसूस करते हैं, जो मन की शांति के लिए ज़रूरी है।

2. उत्पादकता का 'गुप्त' सूत्र

यह सबसे बड़ा मिथक है कि घर से काम करने से उत्पादकता कम हो जाती है। विज्ञान बिल्कुल इसके विपरीत कहता है! जब आप अपने आरामदायक माहौल में होते हैं, तो आपका दिमाग बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर पाता है। बार-बार होने वाली मीटिंग्स, परेशान करने वाले सहकर्मी और ऑफिस का शोर... ये सब घर पर नहीं होता। इससे कर्मचारियों को 'गहन काम' के लिए समय मिलता है, जिससे वे कम समय में ज़्यादा और बेहतर काम कर पाते हैं।

3. सेहत का खज़ाना: अच्छी नींद और अच्छा खाना

घर से काम करना न सिर्फ़ आपके काम के लिए, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक वरदान है। जब आपको सुबह ऑफिस भागना नहीं पड़ता, तो आप बेहतर और पूरी नींद ले पाते हैं। इसके अलावा, बाहर का तला-भुना खाना खाने के बजाय, आप ताज़ा और पौष्टिक घर का बना खाना खाते हैं। ये छोटी-छोटी चीज़ें आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर बड़ा और सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

4. असली 'कार्य-जीवन संतुलन' का क्या मतलब है?

कार्य-जीवन संतुलन का मतलब सिर्फ़ छुट्टी लेना नहीं है। इसका असली मतलब है काम और निजी जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना। घर से काम करने से आपको यह आज़ादी मिलती है। आप अपने बच्चों के साथ दोपहर का भोजन कर सकते हैं, शाम को अपने परिवार के साथ ज़्यादा समय बिता सकते हैं, या अपने किसी शौक के लिए समय निकाल सकते हैं। यह आपको एक बेहतर इंसान बनाता है, और एक खुश इंसान हमेशा एक बेहतर कर्मचारी होता है।

तो अगली बार जब कोई घर से काम करने के बारे में सवाल करे, तो उसे बताएँ कि यह सिर्फ़ सुविधा नहीं है, बल्कि काम करने का एक ज़्यादा स्मार्ट, स्वस्थ और ज़्यादा उत्पादक तरीका है, जिसकी अब विज्ञान भी सराहना कर रहा है।

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