Bollywood Struggle : अगर यही सिनेमा है तो मैं क्या करूंगा? खान्स के स्टारडम पर मनोज बाजपेयी का सबसे बड़ा खुलासा

Post

News India Live, Digital Desk: मनोज बाजपेयी, वो नाम है जिसने अपने दमदार अभिनय से इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बनाई है. 'सत्या' के भीखू म्हात्रे से लेकर 'द फैमिली मैन' के श्रीकांत तिवारी तक, उन्होंने हर किरदार में जान फूंक दी है. आज वह सफलता के शिखर पर हैं, लेकिन एक वक्त था जब उन्हें भी डर लगता था, खासकर बॉलीवुड के तीन खानों- सलमान, शाहरुख और आमिर को देखकर.

खान्स को देख क्यों लगता था डर?

एक हालिया इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष को याद करते हुए एक बड़ी ही दिलचस्प बात कही. उन्होंने बताया कि जब 90 के दशक में वह इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे, उस वक्त तीनों खान सुपरस्टार बन चुके थे. उनकी फिल्में करोड़ों का बिजनेस कर रही थीं और उनकी दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोल रही थी.

मनोज ने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो मैं डर गया था. मुझे लगा कि अगर सिनेमा सिर्फ यही है, तो मेरा यहां क्या होगा? मैं तो ऐसी फिल्में करना ही नहीं चाहता था. मुझे हमेशा से ऐसी कहानियों का हिस्सा बनना था जो आम आदमी से जुड़ी हों." उन्हें लगा कि इस स्टारडम की चकाचौंध में उनकी जैसी एक्टिंग के लिए कोई जगह ही नहीं बचेगी.

"मेरी अपनी एक अलग यात्रा है"

हालांकि, मनोज बाजपेयी ने यह भी साफ किया कि उन्हें खान्स की सफलता से कभी जलन नहीं हुई. वह कहते हैं, "उनकी यात्रा बिल्कुल अलग है और मेरी अलग. हम दोनों की मंजिलें भी अलग थीं. उन्होंने देश में सिनेमा को इतना बड़ा बनाया, लोगों को थिएटर्स तक खींचा, जिसका फायदा कहीं न कहीं हम जैसे एक्टर्स को भी मिला."

मनोज बाजपेयी का मानना है कि हर कलाकार अपनी एक किस्मत लेकर आता है. उन्होंने कभी सुपरस्टार बनने का सपना नहीं देखा, उनका मकसद हमेशा से एक अच्छा एक्टर बनना था. उन्होंने कहा, "मुझे आज जो मिला है, मैंने उसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी. भगवान ने मुझे मेरी उम्मीद से बहुत ज्यादा दिया है और मैं इसी में खुश हूं."

यह बात दिखाती है कि सफलता का मतलब हर किसी के लिए अलग होता है. जहां खान्स ने स्टारडम की परिभाषा गढ़ी, वहीं मनोज बाजपेयी ने अभिनय का एक ऐसा पैमाना तय किया, जिसे छूना हर किसी के बस की बात नहीं.

--Advertisement--