मिहिर उपाध्याय द्वारा निर्देशित, दिल छू लेने वाली फिल्म ‘मेरी सखी’ महिलाओं और उनकी साड़ियों के बीच गहरी और अनोखी दोस्ती को एक सिनेमाई श्रद्धांजलि है।
फिल्म के निर्देशक मिहिर उपाध्याय अहमदाबाद में एक अतिथि थे और उन्होंने अपनी फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मेरी सखी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह साड़ी को एक श्रद्धांजलि है, जो सशक्तिकरण और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। साड़ी पीढ़ियों से चली आ रही यादों, भावनाओं और परंपराओं का प्रतीक है। इसमें हमारी विरासत का सार, हमारे पूर्वजों की कहानियाँ और हमारी संस्कृति की भावना शामिल है। मेरी सखी के माध्यम से, हमारा लक्ष्य साड़ी को एक महिला के दृढ़ साथी, गवाह और उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में भागीदार के रूप में मनाना है। फिल्म में अरुण गौरीसरिया की एक कविता है जिसमें स्त्री और साड़ी के रिश्ते को छंदों के जरिए दर्शाया गया है। फिल्म में इस प्रोजेक्ट को एक्ट्रेस शैफली शाह ने अपनी आवाज दी है. उनके काव्य पाठ में गाथा की अद्वितीय गहराई है। शेफ़ली का शक्तिशाली और भावनात्मक वर्णन अरुण गौरीसरिया के शब्दों को जीवंत बनाता है, जिससे दर्शकों को कविता में निहित भावना और संबंध की हर बारीकियों का एहसास होता है।