बोहाग बिहू: असम में 7 दिनों तक मनाया जाता है बिहू महोत्सव, जानें मिथक

बिहू असम का एक पारंपरिक त्योहार है। यह साल में 3 बार मनाया जाता है। बोहाग बिहू हिंदी कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने में असम में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार फसलों की कटाई से संबंधित है। इसमें किसानों की अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह अग्नि देवता को समर्पित त्योहार है। गौरतलब है कि माघ बिहू साल की शुरुआत में जनवरी या माघ महीने में मनाया जाता है. इसके बाद अप्रैल में बोहाग बिहू और अक्टूबर-नवंबर में कार्तिक यानी कटि बिहू मनाया जाता है। यह 14-20 अप्रैल तक मनाया जाता है।

यह क्यों मनाया जाता है?

बोहाग बिहू असम में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। माघ बिहू फसलों की कटाई से जुड़ा त्योहार है, जबकि अप्रैल में मनाया जाने वाला बिहू फसल के साथ-साथ नए साल के आगमन का प्रतीक है। 7 दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार असम में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

बोहाग बिहू कैसे मनाया जाता है?

बोहाग बिहू 7 दिनों तक चलने वाला एक लंबा त्योहार है। इस त्यौहार की खास बात यह है कि इसमें परिवार के सदस्यों के साथ-साथ घरेलू जानवर भी शामिल होते हैं। बोहाग बिहू के पहले दिन, लोग जल्दी उठते हैं और हल्दी और कच्ची उड़द दाल के पेस्ट से उबटन बनाते हैं। इस उबटन की सहायता से स्नान करें। इसके बाद लोग अपने घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं।

एक विशेष पकवान बनाया जाता है

बिहू में विशेष प्रकार के व्यंजन भी बनाये जाते हैं। इस अवसर पर तिल लारू, पीठा, मुरीर लारू, घिला पीठा, पोका मिठोई बनाने की परंपरा है। सप्ताह भर चलने वाले इस त्योहार में लोग अलग-अलग दिन रंगोली बनाते हैं। शाम को महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और लोक गीत गाती हैं। इस त्यौहार के दौरान महिलाएं और पुरुष ढोल भी बजाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश कर अच्छी फसल का वरदान भी देते हैं।