Border Dispute heats up : नेपाल के एकतरफा बयान पर भारत ने किया पलटवार, क्यों उखड़ गया हिमालयी देश

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News India Live, Digital Desk: Border Dispute heats up : भारत ने नेपाल के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें नेपाल ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच बढ़ते व्यापार पर चिंता व्यक्त की थी. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत नेपाल की तरफ से इस "एकतरफा टिप्पणी" को सिरे से खारिज करता है और इसे तथ्यात्मक रूप से गलत बताता है. नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि यह व्यापार दशकों से मौजूद प्रोटोकॉल के तहत ही हो रहा है और इस पर नेपाल की टिप्पणी अनावश्यक है.

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि यह एक नियमित व्यापार मार्ग है जिसका उपयोग दोनों देशों द्वारा दशकों से किया जा रहा है और नेपाल इस पर सवाल उठाकर एक अस्थिर स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहा है. भारतीय अधिकारियों ने नेपाली बयान को 'झूठा' करार दिया है. यह प्रतिक्रिया नेपाल के विदेश मंत्री के एक बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लिपुलेख में वाणिज्यिक आवाजाही होती है तो नेपाल अपनी स्थिति बनाए रखेगा.

भारत और नेपाल के बीच लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा सहित कई क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. ये क्षेत्र, विशेष रूप से लिपुलेख पास, भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रदान करता है. साल 2020 में भी दोनों देशों के बीच तनाव उस वक्त बढ़ गया था जब भारत ने लिपुलेख से दारचुला (उत्तराखंड में) तक एक सड़क का उद्घाटन किया था, जिस पर नेपाल ने अपनी आपत्ति जताई थी. भारत का दावा है कि यह क्षेत्र उत्तराखंड राज्य का अभिन्न अंग है, जबकि नेपाल इसे अपने सुदूर पश्चिमी हिस्से में स्थित अपना संप्रभु क्षेत्र बताता है.

नई दिल्ली ने बार-बार काठमांडू से बातचीत के जरिए इन सीमा विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का आह्वान किया है. भारत का यह रुख है कि विवादित क्षेत्रों के समाधान के लिए संवाद सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन इस तरह के सार्वजनिक बयान अनावश्यक तनाव बढ़ाते हैं. इस नवीनतम बयान ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में एक बार फिर से खटास पैदा कर दी है, खासकर तब जब दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रहे थे.

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