हमीरपुर, 14 मई (हि.स.)। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैं वीरभूमि हमीरपुर से हूं, यहां का सैनिक देश की सीमा पर सीना तानकर गोली खाता है। मैं भी योद्धा हूं, खनन माफिया के आगे हथियार नहीं डालूंगा। 40 साल संघर्ष करने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचा हूं, लेकिन मेरे कदम कभी डगमगाए नहीं। मुख्यमंत्री मंगलवार को सुखविंदर सिंह ने बड़सर में कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष डटवालिया के नामांकन पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि दोनों वोट मुख्यमंत्री को जाने चाहिए। यह सोचकर मतदान करें कि सांसद और विधायक का चुनाव मुख्यमंत्री ही लड़ रहे हैं। बिकाऊ विधायकों से भाजपा कार्यकर्ता भी दुखी हैं, उनसे अनुरोध है कि पार्टी विचारधारा से ऊपर उठकर मतदान करें। करीब चार महीने पहले जब बड़सर का दौरा किया था तो कल्पना नहीं की थी कि यहां का विधायक बिक जाएगा। जिला का मुख्यमंत्री होने के बावजूद बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल 15 करोड़ रुपये से अधिक में भाजपा की राजनीतिक मंडी में बिक गए। उन्होंने 14 महीने में जो मांगा उन्हें वह मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व विधायक इंद्रदत्त लखनपाल को पैसों के दो अटैची मिले हैं, एक अटैची वह ले आए हैं, दूसरे को नहीं ला पा रहे। जितना धन लाए हैं उसमें से कुछ बड़सर में भी बांट रहे हैं। उन्हें खूब लूटना, वह आपका ही पैसा है। जितना दें उससे ज्यादा ही लेना और वोट कांग्रेस को देना। सुभाष डटवालिया ईमानदार हैं, उन्हें जिताकर भेजें। यह चुनाव बिकाऊ विधायक का है, इसलिए जनता उन्हें सबक सिखाएं। दुख और पीड़ा तब होती है जब मुख्यमंत्री के गृह जिला से तीन विधायक बिक जाएं। निर्दलीय तो किसी दल के नहीं होते, उन्होंने 14 महीने में इस्तीफा क्यों दिया। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा, इससे साफ है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़सर के पूर्व विधायक राज्यसभा चुनाव से पहले मेरे साथ मीठी-मीठी बातें कर रहे थे। मेरे कहा कि कोई गलती न करना और पहली पंक्ति में वोट डालना। गगरेट वाले विधायक पर भी नजर रखना कहीं खिसक न जाए, लेकिन मुझे क्या पता था कि बड़सर वाले विधायक भी बिक चुके हैं। उन्होंने कहा कि जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। लोकतंत्र में जनता ही भगवान है। लोकतंत्र में जो अपनी पार्टी को भूल जाए, जनता के वोट का सौदा कर दे वह सच्चा सेवक नहीं हो सकता। हिमाचल बनने के बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी ने निचले हिमाचल से मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन हमीरपुर जिला के विधायकों को रास नहीं आया। जिला के लाग को फक्र होता है जब अपना मुख्यमंत्री बनता है, चूंकि यह पद सदियों की मेहनत के बाद जाकर मिलता है।