ट्रिपल ‘V’ फॉर्मूले से बीजेपी ने जीता महाराष्ट्र का गढ़, जाति आधारित वोट बंटवारे से मिला फायदा, अब दूसरे राज्यों का रुख

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महाराष्ट्र वोट बैंक:   महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है. नवंबर महीने में आए चुनाव नतीजों के मुताबिक राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी ने 132 सीटें, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 सीटें और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं. स्वयं महायुति को भी इस अद्भुत परिणाम की आशा नहीं थी। 

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं. इस हिसाब से इस चुनाव में बीजेपी को 25 सीटें ज्यादा मिली हैं. अब कहा जा रहा है कि बीजेपी को यह शानदार जीत ट्रिपल ‘वी’ फॉर्मूले (जाति आधारित वोटों का बिखराव, बिखराव और विभाजन) की वजह से मिली है. ट्रिपल ‘वी’ को बीजेपी के तरकश में नये तीर के तौर पर देखा जा रहा है. 

दोनों गठबंधनों के बीच 1 करोड़ वोटों का अंतर

जानकार कह रहे हैं कि जातिगत वोटों के बंटवारे से भारतीय जनता पार्टी को यह बहुमत हासिल करने में मदद मिली है और बीजेपी इस फॉर्मूले को अपनाकर दूसरे राज्यों में भी जमीन हासिल कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की चुनावी रणनीति बनाने वाली टीम ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. इसके पीछे के कारण की बात करें तो महाराष्ट्र के भीतर वोट-बंटवारे के जाति-आधारित फॉर्मूले के कारण भारतीय जनता पार्टी को दो प्रतिस्पर्धी गठबंधनों (महायुति और एमवीए) के बीच 1 करोड़ वोटों का अंतर देखने को मिला है। यह दावा बीजेपी की ओर से कराए गए महाराष्ट्र चुनाव अध्ययन में किया गया है. 

 

स्टडी के मुताबिक, बीजेपी गठबंधन की तीन अहम पार्टियों (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) को 3 करोड़ 11 लाख 7 हजार 146 वोट मिले हैं. वहीं, महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस (एमवीए), उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी को 2 करोड़ 17 लाख 42 हजार 31 वोट मिले हैं. दोनों आंकड़ों पर गौर करें तो साफ है कि 1 करोड़ रुपये का अंतर है.

इससे मराठा वोट बंट गया

महाराष्ट्र में मराठा वोटों का दबदबा है और बीजेपी ने इस वोट बैंक को तोड़कर बड़ी कामयाबी हासिल की है. दरअसल एमवीए पार्टियां मुस्लिम और मराठा वोटों को अपने साथ लेकर राज्य की सत्ता में वापसी का सपना देख रही थीं, लेकिन यह बड़ा वोट बैंक एकनाथ शिंदे की शिवसेना+उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ-साथ शरद पवार की एनसीपी और अजित पवार की एनसीपी के बीच बंट गया। . इसके अलावा ब्राह्मण, दलित और ओबीसी के संयुक्त वोटों के कारण बीजेपी को ये ऐतिहासिक नतीजे मिले हैं.

अब अगली योजना

बीजेपी अब इस रणनीति को राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और दक्षिण भारत जैसे राज्यों में भी लागू करने की योजना बना रही है. राजस्थान में जाट, राजपूत, गुर्जर और मीना जाति के वोट बैंक और यूपी-बिहार में यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक के बीच बंटवारा कर बीजेपी खुद को मजबूत कर सकती है.