पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद सियासी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उनके अंतिम संस्कार को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर अपमान का आरोप लगाया था। अब अस्थि विसर्जन के दौरान गांधी परिवार की गैरहाजिरी को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है।
गांधी परिवार की गैरमौजूदगी पर भाजपा का निशाना
भाजपा नेता मनजिंदर सिरसा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना करते हुए कहा कि यह बेहद दुखद है कि गांधी परिवार, जो कल से अंतिम संस्कार पर राजनीति कर रहा था, आज अस्थि विसर्जन के मौके पर कहीं नजर नहीं आया। उन्होंने कहा, “यमुना घाट पर कोई कैमरा नहीं था, इसलिए गांधी परिवार का कोई सदस्य या कांग्रेस का बड़ा नेता उपस्थित नहीं हुआ। यह कांग्रेस द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान है।”
सिख रीति-रिवाजों के अनुसार अस्थि विसर्जन
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियां सिख परंपराओं के तहत यमुना नदी में मजनू का टीला स्थित गुरुद्वारे के पास विसर्जित की गईं। इस दौरान डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर, उनकी तीन बेटियां – उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह – सहित परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
डॉ. सिंह के परिवार ने सिख रीति-रिवाजों का पालन करते हुए यह भी घोषणा की है कि 1 जनवरी को उनके आधिकारिक निवास पर अखंड पाठ का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, 3 जनवरी को संसद परिसर के पास रकाबगंज गुरुद्वारे में उनकी याद में भोग, अंतिम अरदास और कीर्तन का आयोजन होगा।
कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक विवाद
कांग्रेस ने डॉ. मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन की तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, “आज भारत मां के सपूत और देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी की अस्थियां पूरे विधि-विधान के साथ मजनू का टीला स्थित गुरुद्वारे के पास यमुना घाट पर विसर्जित की गईं। उनकी सादगी, देश सेवा और समर्पण को देश कभी नहीं भूलेगा।”
इसके विपरीत, भाजपा ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी एक पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर भी राजनीति कर रही है। अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करने को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों पर भाजपा ने जवाब दिया कि स्मारक के लिए जमीन उपलब्ध कराने में समय लगता है, लेकिन अंतिम संस्कार में देरी नहीं की जा सकती।
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन और राजकीय सम्मान
गौरतलब है कि डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को एम्स (दिल्ली) में हुआ था। 30 दिसंबर को निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी मृत्यु पर देशभर में शोक की लहर थी, और उनके योगदान को याद करते हुए विभिन्न नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
यह सियासी विवाद केवल एक महान नेता के सम्मान पर ध्यान केंद्रित करने की जगह राजनीतिक बयानबाजी तक सिमटता नजर आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा के इस विवाद में सवाल उठता है कि क्या यह वक्त सियासत का है या एक महान व्यक्तित्व को शांति और सम्मान के साथ विदाई देने का?