भाजपा संगठन चुनाव: कई राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन पर मंथन, सामाजिक समीकरणों पर मंथन जारी

Ani 20250220204 0 1740530837778

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठन चुनावों में राज्यों के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं। कई राज्यों में नेताओं के विरोध और सामाजिक एवं राजनीतिक समीकरणों के चलते पार्टी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है, जब आधे यानी 50% प्रदेशों में चुनाव पूरे हो जाएं। पार्टी के कुल 38 प्रदेश संगठन हैं, जिनमें से अब तक केवल 10 राज्यों में चुनाव संपन्न हुए हैं।

कर्नाटक में नेतृत्व पर विरोध

कर्नाटक में विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने को लेकर पार्टी नेताओं के एक धड़े ने विरोध जताया है।भाजपा को इस पर संतुलित निर्णय लेने में कठिनाई हो रही है।

चैंपियंस ट्रॉफी के बीच पाकिस्तान में झड़प, 100 से ज़्यादा पुलिसकर्मी अचानक बर्खास्त

तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में असमंजस

इन राज्यों में विधानसभा चुनाव को सिर्फ एक साल बचा है।ऐसे में क्या वर्तमान नेतृत्व को बनाए रखा जाए या नए नेतृत्व को मौका दिया जाए, इस पर निर्णय लंबित है।

उत्तर प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद ही भूपेंद्र चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर दी थी।चूंकि संगठन चुनाव बाकी थे, इसलिए बदलाव नहीं किया गया।सूत्रों के अनुसार, होली के बाद नए अध्यक्ष का चयन होगा, जो सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा।

मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी नेतृत्व पर विचार

वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बने पांच वर्ष पूरे हो गए हैं।अब दलित और आदिवासी नेता को मौका देने पर विचार किया जा रहा है।भाजपा अन्य राज्यों के सामाजिक समीकरणों को देखकर निर्णय लेगी।

तेलंगाना और गुजरात में भविष्य की रणनीति

इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं।चुनाव भले अभी न हों, लेकिन भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं को देखते हुए नेतृत्व में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।”एक व्यक्ति, एक पद” नीति पर भी मंथन जारी है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसमें लचीलापन दिखाने के पक्ष में नहीं है।