दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी बरामद होने का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, नड्डा इस संवेदनशील मामले पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि संसद में चल रहे गतिरोध को समाप्त किया जा सके।
नड्डा की पहल और राजनीतिक रणनीति
सूत्रों ने बताया कि जेपी नड्डा, जो राज्यसभा में सदन के नेता भी हैं, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क कर उनकी राय जानेंगे। यह निर्णय राज्यसभा के सभापति और विभिन्न दलों के फ्लोर नेताओं की बैठक के बाद लिया गया। बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और नड्डा से चर्चा की थी और फैसला किया गया कि इस मामले को आगे बढ़ाने से पहले प्रधान न्यायाधीश द्वारा नियुक्त आंतरिक जांच पैनल के नतीजे का इंतजार किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से अनुरोध किया कि याचिका को जल्द सुना जाए, क्योंकि यह जनहित से जुड़ा मामला है। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने इस पर कोई तत्काल फैसला देने से इनकार कर दिया और कहा कि “याचिका पर सुनवाई होगी, लेकिन सार्वजनिक बयानबाजी न करें।”
क्या होता अगर मामला किसी आम नागरिक का होता?
मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया कि अगर ऐसा कोई मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता, तो सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियां तुरंत कार्रवाई करतीं। प्रधान न्यायाधीश ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “याचिका पर सुनवाई होगी, लेकिन इससे अधिक बयानबाजी की जरूरत नहीं है।”
याचिका में 1991 के के. वीरस्वामी मामले के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना किसी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।
कैसे सामने आया मामला?
14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना हुई थी। इसके बाद मौके पर पहुंची जांच टीम को अधजली नकदी बरामद हुई, जिससे यह पूरा मामला सामने आया। अब देखना यह होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और राजनीतिक दल इसे लेकर क्या रणनीति बनाते हैं।