कांग्रेस द्वारा उठाए गए मुद्दों के कारण यूपी में हारी बीजेपी, समीक्षा रिपोर्ट में पार्टी ने खुद माना

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की समीक्षा रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में हार के मद्देनजर बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक शुक्रवार (28 जून) को लखनऊ में हुई. इसमें उन सीटों का विश्लेषण किया गया जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश कोर कमेटी की बैठक में विशेष टीम की समीक्षा रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें कई मुद्दों का जिक्र किया गया.

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि अधिकारियों ने जनता और कार्यकर्ताओं के साथ किस तरह का व्यवहार किया. लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा कर रही बीजेपी की विशेष टीम ने यह विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी है. रिपोर्ट में हार के कई कारण बताए गए हैं.

विधायकों की निष्क्रियता से नुकसान

रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभाओं में विधायकों की निष्क्रियता से पार्टी को नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं, कई विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लोकसभा उम्मीदवारों के खिलाफ थे और इन सीटों पर लड़ाई से बीजेपी को नुकसान हुआ. इसके अलावा संविधान के मुद्दे पर भी एससी मतदाता बंटे हुए हैं. ओबीसी वोटर बिखर गए और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

संविधान के मुद्दे पर दलितों ने अपना वोट खो दिया

अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के प्रति बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के असंतोष के कारण भी भाजपा के पक्ष में मतदान में गिरावट आई। तमाम कोशिशों के बावजूद ओबीसी वोटों का बंटवारा नहीं रोका जा सका और दलित वोट संविधान के मुद्दे पर छिटकते रहे.

 

बीजेपी को सपा से कम सीटें मिलीं

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी को सिर्फ 33 सीटें ही मिल सकीं. जबकि कांग्रेस को 6 सीटें, आरएलडी को 2 सीटें, आजाद समाज पार्टी और अपना दल (एस) को एक-एक सीट मिलीं. जबकि मायावती की पार्टी बीएसपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई.