
पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं। लेकिन यह पहली बार नहीं है कि भाजपा ने पहली बार विधायक बने किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया हो। रेखा गुप्ता से पहले दो नेताओं को इसी तरह मुख्यमंत्री बनाया गया था। आइये जानें कौन हैं?
मुख्यमंत्री बनने से पहले नरेन्द्र मोदी कभी विधायक या सांसद नहीं थे।
भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में तीन नेता ऐसे हैं जो विधायक बनने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बन गए। इसमें पहला नाम वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है। प्रधानमंत्री मोदी भाजपा के एकमात्र नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनने से पहले न तो विधायक थे और न ही सांसद। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद वे उपचुनाव में विधायक बने और वह भी पहली बार।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा
पीएम मोदी के दौर में कई ऐसे नेता विधायक और सांसद बन गए, जिन्होंने कभी ऐसी कल्पना भी नहीं की थी। इनमें से एक हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा।
विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट का इंतजार कर रहे भजनलाल राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। वह भी ऐसे समय में जब राजस्थान में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे कई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे। वसुंधरा राज्य की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं और राजस्थान की राजनीति में उनका काफी प्रभाव है। वह चुनाव भी जीत गईं। था। लेकिन जब विधायक दल की बैठक में भजनलाल शर्मा के नाम की घोषणा हुई तो न केवल वसुंधरा बल्कि भजनलाल भी चौंक गए।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कई नेता शामिल थे।
सबसे बड़ी बात यह रही कि भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक चुनकर सदन पहुंचे थे। वह संगठन के काम में बहुत सक्रिय थे। जब पार्टी ने उन पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाया तो किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वसुंधरा राजे सिंधिया और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नेताओं की मौजूदगी के बावजूद भजनलाल मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
रेखा गुप्ता भी विधायक बनने के बाद मुख्यमंत्री बनीं।
अब इस सूची में रेखा गुप्ता का नाम भी जुड़ गया है। वह पहली बार विधायक बनने के बाद मुख्यमंत्री बने। रेखा गुप्ता पहले नगर निगम की राजनीति में सक्रिय थीं। वह मेयर भी रह चुकी हैं। रेखा शर्मा ऐसे समय में भाजपा की मुख्यमंत्री बन रही हैं जब प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, मनोज तिवारी, डॉ. हर्षवर्धन जैसे दिग्गज नेता सबसे मजबूत दावेदार थे।