दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। आम आदमी पार्टी (आप) ने जहां सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, वहीं कांग्रेस ने 21 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया है। अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।
एक सप्ताह में होगा भाजपा का फैसला
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, आगामी एक सप्ताह में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। इसमें सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। इस बार पार्टी की रणनीति कुछ अलग नजर आ रही है। भाजपा कई सीटों पर नए चेहरों को मौका देने की योजना बना रही है, जबकि कुछ पूर्व सांसदों को भी मैदान में उतार सकती है। पार्टी का मानना है कि ‘आप’ के खिलाफ 10 साल की सत्ता-विरोधी लहर का फायदा उठाने के लिए सही उम्मीदवारों का चयन बेहद महत्वपूर्ण है।
पूर्व सांसदों को मिल सकता है मौका
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में रणनीतिक रूप से कुछ सांसदों को टिकट नहीं दिया था। अब इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है।
- प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारने की तैयारी है।
- इसी तरह, मीनाक्षी लेखी और रमेश बिधूड़ी जैसे पूर्व सांसदों के नाम पर भी विचार हो रहा है।
आप और कांग्रेस से आए नेताओं पर नजर
भाजपा ने हाल के दिनों में ‘आप’ और कांग्रेस से आए कुछ प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ जोड़ा है। पार्टी इन नेताओं को भी टिकट देने की संभावना पर विचार कर रही है।
- कैलाश गहलोत, जो पहले केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके हैं, को नजफगढ़ से मैदान में उतारा जा सकता है।
- राज कुमार आनंद, जो पटेल नगर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंदर सिंह लवली को उनके गढ़ गांधीनगर से चुनाव लड़ाने की संभावना है।
हारने वाले नेताओं पर सख्त, जीते हुए पर भरोसा
इस बार भाजपा उन सीटों पर नए उम्मीदवारों को मौका देगी, जहां पिछले दो चुनावों में पार्टी लगातार हार का सामना कर चुकी है।
- ऐसी सीटों पर, जहां 2015 और 2020 में एक ही नेता को उतारा गया था और वे हार गए, वहां इस बार नए चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- हालांकि, पिछली बार मामूली अंतर से हारने वाले और लगातार जनता के बीच सक्रिय रहने वाले नेताओं को भी मौका दिया जा सकता है।
- 2020 में भाजपा के जिन 8 विधायकों ने जीत हासिल की थी, उन्हें दोबारा टिकट दिया जाएगा।
26 साल का वनवास खत्म करने की रणनीति
भाजपा का फोकस 26 साल के वनवास को खत्म करने पर है। पार्टी का मानना है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ जनता में असंतोष है, जिसका फायदा सही उम्मीदवारों के चयन से उठाया जा सकता है।