बायो मिल्क देश की बढ़ती आबादी के लिए दूध की जरूरत को पूरा करेगा, केंद्र ने बायो ई-3 नीति जारी की

नई दिल्ली: जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने से जुड़ी संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने का फैसला किया है। इसके तहत सरकार ने देश की पहली बायो ई-3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार) नीति जारी की है। इसके तहत दूध, खाद्य पदार्थ, पर्यावरण समेत आम जीवन के सामने आने वाली हर चुनौती से निपटने की तैयारी है। फिलहाल इस नए सेक्टर के विस्तार से लोगों को आने वाले दिनों में सबसे बड़ा फायदा बायो मिल्क का मिलेगा। यह पशु मुक्त होगा, जो न केवल बढ़ती आबादी की दूध की आवश्यकता को पूरा करेगा बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होगा।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को देश की पहली बायो ई-3 पॉलिसी जारी की और कहा कि दुनिया में नई औद्योगिक क्रांति बायो टेक्नोलॉजी और बायो मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में होगी. इसका नेतृत्व भारत करेगा. उन्होंने कहा कि आईटी क्रांति की तरह बायो-मिल्क और बायो-एग्रीफूड (बायो-एग्रीफूड) की बात अभी भी लोगों के लिए चौंकाने वाली बात हो सकती है, लेकिन भविष्य की जरूरतें इसी से पूरी होंगी. अगले पांच से दस साल में यह दिखना शुरू हो जायेगा. देश की लगभग 140 करोड़ आबादी के लिए दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 459 ग्राम है।

इस दूध को इकट्ठा करने के लिए देश में 30 करोड़ से ज्यादा गायें, दो करोड़ से ज्यादा भेड़-बकरियां और अन्य जानवर पाले गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले दिनों में देश की आबादी के लिए दूध की मांग बढ़ेगी, लेकिन इसकी आपूर्ति ज्यादा जानवर पालने से पूरी नहीं होगी. लेकिन इसके लिए बायो मिल्क जैसे विकल्प अपनाने होंगे। यह दूध बायो प्रोडक्ट से तैयार किया जाएगा। किसी भी प्रकार से रसायन का प्रयोग नहीं किया जाएगा। नीति का मुख्य फोकस देश की खाद्य जरूरतों के साथ-साथ पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से देश को बाहर निकालना है। ऐसे में प्लास्टिक की जगह बायो प्लास्टिक तैयार करने पर भी जोर दिया गया है, जो आसानी से नष्ट हो जाएगा. साथ ही इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा. इसके तहत दवाओं के निर्माण में तेजी लाने, कार्बन को अवशोषित कर उससे जुड़े उत्पाद तैयार करने पर नीति का फोकस किया गया है। नीति के तहत देश में बायोमैन्युफैक्चरिंग के लिए नया माहौल बनाना, इससे जुड़े नियम तैयार करना और इस क्षेत्र में कदम रखने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित करना शामिल है।

बायोमैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री 335 लाख करोड़ से ज्यादा की होगी

नीति के मुताबिक, बायो-मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं के हिसाब से आने वाले दिनों में यह इंडस्ट्री 335 लाख करोड़ से ज्यादा की होने का अनुमान है। वर्तमान में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को गति देने के लिए 15 मंत्रालय और विभाग लगे हुए हैं। इनमें आईटी मंत्रालय भी शामिल है, जो जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एआई के उपयोग को बढ़ावा देगा।