Bihar Politics : तेज प्रताप यादव ने गीता और भगवान श्रीकृष्ण की क़सम खाई, कहा - कभी राजद में वापस नहीं जाऊंगा

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News India Live, Digital Desk: बिहार की राजनीति हमेशा से अपने नाटकीय मोड़ों और सियासी दांव-पेचों के लिए जानी जाती है. इस बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने एक ऐसा सनसनीखेज ऐलान किया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है. उन्होंने सरेआम गीता और भगवान श्रीकृष्ण की कसम खाते हुए घोषणा की है कि वह कभी भी अपनी पुरानी पार्टी, आरजेडी में वापस नहीं जाएंगे. यह बयान सिर्फ़ तेज प्रताप का एक साधारण बयान नहीं है, बल्कि लालू परिवार और पार्टी के अंदर चल रही खींचतान की एक बड़ी तस्वीर पेश करता है.

तो क्या है तेज प्रताप यादव के इस नाटकीय ऐलान के पीछे की कहानी और इसका बिहार की राजनीति पर क्या असर हो सकता है? आइए जानते हैं विस्तार से.

तेज प्रताप का 'धार्मिक' शपथ और आरजेडी से अलगाव:

जानकारी के अनुसार, तेज प्रताप यादव ने एक कार्यक्रम में या मीडिया के सामने अपने दिल की बात खुलकर रखी. उन्होंने न सिर्फ यह कहा कि वे अब आरजेडी से दोबारा नहीं जुड़ेंगे, बल्कि इस बात को मज़बूती से कहने के लिए उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का सहारा भी लिया. गीता और भगवान श्रीकृष्ण की शपथ लेने का मतलब यह है कि उन्होंने यह फैसला पूरी दृढ़ता से लिया है और इसे वापस लेने का उनका कोई इरादा नहीं है.

यह बयान ऐसे समय में आया है जब लालू परिवार के भीतर और आरजेडी में आंतरिक कलह (Internal Strife) की खबरें पहले भी आती रही हैं. तेज प्रताप अक्सर अपने बयानों और फैसलों से सबको चौंकाते रहे हैं. पहले भी उनके अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव और पार्टी के कुछ नेताओं से मतभेद सामने आ चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने कई बार पार्टी से अलग होने या अपनी नई पार्टी बनाने के संकेत दिए थे.

क्यों लिया ऐसा कड़ा फ़ैसला?

इस तरह का शपथ लेना दिखाता है कि तेज प्रताप यादव किसी गंभीर बात से नाराज़ हैं या उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य के लिए कोई नया रास्ता चुन लिया है.

  • पारिवारिक मतभेद: लालू परिवार में बेटों के बीच सत्ता को लेकर अनबन कोई नई बात नहीं है. तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ते कद और आरजेडी में उनकी पकड़ को लेकर तेज प्रताप कई बार खुलकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं.
  • राजनीतिक उपेक्षा: तेज प्रताप को लग रहा होगा कि उन्हें पार्टी में या परिवार में उचित महत्त्व नहीं मिल रहा है, जिसके बाद उन्होंने यह कठोर क़दम उठाया है.
  • स्वतंत्र राजनीतिक पहचान: शायद वे अब अपनी एक स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाना चाहते हैं, न कि सिर्फ़ लालू यादव के बेटे के रूप में जाने जाना चाहते हैं.

क्या होगा इसका राजनीतिक असर?

तेज प्रताप यादव का आरजेडी से पूरी तरह अलग होने का यह ऐलान बिहार की राजनीति पर, ख़ासकर आरजेडी पर बड़ा असर डाल सकता है.

  • आरजेडी की चुनौतियां: आने वाले समय में आरजेडी को आंतरिक रूप से इस फूट का सामना करना पड़ सकता है. चुनावी लिहाज़ से भी यह पार्टी की एकता और प्रदर्शन पर असर डाल सकता है.
  • लालू परिवार की मुश्किलें: लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के लिए यह पारिवारिक कलह और मुश्किल बढ़ा सकता है. उनके सामने बेटों को एकजुट रखने की चुनौती होगी.
  • नए समीकरण: तेज प्रताप अगर कोई नई राह चुनते हैं, तो बिहार में नए राजनीतिक समीकरण भी बन सकते हैं.

तेज प्रताप यादव के इस गीता और कृष्ण की शपथ वाले ऐलान ने बिहार की राजनीतिक गलियों में एक बार फिर गर्मागर्मी बढ़ा दी है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में इसका क्या असर होता है और क्या तेज प्रताप सच में अपनी नई राजनीतिक यात्रा पर निकल पड़ते हैं.

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