Bihar Politics : ब्राह्मण, दलित या अति पिछड़ा? आखिर किसके सिर सजेगा बिहार बीजेपी अध्यक्ष का ताज?
News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में अगर "जाति" की बात न हो, तो समझिये चर्चा अधूरी है। अभी सियासी गलियारों में सबसे गर्म सवाल यही है "भैया, बिहार बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन बनने वाला है?"
दिलीप जायसवाल के बाद कमान किसके हाथ में जाएगी? क्या पार्टी अपने पुराने और पक्के "सवर्ण" वोटबैंक पर भरोसा जताएगी, या फिर 2025 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) को देखते हुए कोई दलित या अति-पिछड़ा (EBC) कार्ड खेलेगी?
यह फैसला सिर्फ एक पद का नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि एनडीए (NDA) बिहार में 2025 की लड़ाई कैसे लड़ेगा। आइए, बिल्कुल आसान और राजनीतिक विश्लेषण वाली भाषा में समझते हैं कि रेस में कौन-कौन है और भाजपा की स्ट्रैटेजी क्या हो सकती है।
1. ब्राह्मण चेहरा: पुराने किले को बचाने की कवायद
बीजेपी का कोर वोटबैंक हमेशा से सवर्ण माना जाता रहा है, और बिहार में ब्राह्मण और भूमिहार समुदाय पार्टी की रीढ़ हैं।
- समीकरण: चर्चा है कि पार्टी किसी कद्दावर ब्राह्मण नेता को कमान सौंप सकती है। ऐसा करने से सवर्ण मतदाताओं में जो थोड़ी बहुत नाराजगी या असमंजस है, उसे दूर किया जा सके।
- नामों की चर्चा: दबी जुबान में कुछ पूर्व मंत्रियों और तेज-तर्रार प्रवक्ताओं के नाम चल रहे हैं, जो अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। तर्क यह है कि संगठन को मजबूत रखने के लिए यह "सेफ ऑप्शन" है।
2. दलित कार्ड: नया जनाधार बढ़ाने की कोशिश
सिर्फ सवर्ण वोटों से 2025 की नैया पार नहीं होगी, यह बात आलाकमान भी जानता है। विपक्ष (आरजेडी और कांग्रेस) दलित और पिछड़ा वोटों पर सेंधमारी करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
- समीकरण: एक धड़ा मानता है कि बीजेपी को किसी दलित चेहरे को आगे करना चाहिए। इससे 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा बुलंद होगा और दलित वोटबैंक में भाजपा की पैठ गहरी होगी। पासवान और महादलित समाज को जोड़ने के लिए यह 'मास्टरस्ट्रोक' हो सकता है।
3. EBC (अति-पिछड़ा) फैक्टर: 2025 की असली चाबी
बिहार में जिसकी पकड़ EBC (Extremely Backward Class) पर होती है, वही राज करता है। नीतीश कुमार की ताकत यही वोटबैंक रहा है।
- समीकरण: बीजेपी के रणनीतिकार सोच रहे हैं कि अगर किसी अति-पिछड़े नेता को अध्यक्ष बनाया जाए, तो यह आरजेडी के 'MY' (मुस्लिम-यादव) और नीतीश कुमार के 'लव-कुश' समीकरण की काट बन सकता है। एक जमीनी नेता, जो ओबीसी समाज से आता हो, पार्टी को बूथ लेवल तक मजबूत कर सकता है।
क्या है दिल्ली का मूड?
अमित शाह और जेपी नड्डा कभी भी चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। हो सकता है कि जो नाम मीडिया में चल रहे हैं, उनसे अलग कोई ऐसा चेहरा सामने आ जाए, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी न हो।
अभी क्यों हो रही है इतनी चर्चा?
साल 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। यह चुनाव भाजपा के लिए "करो या मरो" वाला है। पार्टी चाहती है कि सीएम की कुर्सी पर जाने का रास्ता साफ हो, और उसके लिए एक ऐसा प्रदेश अध्यक्ष चाहिए जो:
- सबको साथ लेकर चले।
- गठबंधन (जदयू-लोजपा) के साथ तालमेल बिठा सके।
- कार्यकर्ताओं में जोश भर सके।
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