पटना। बिहार में संचालित ईंट-भट्ठों की अनियमितता को देखते हुए सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि प्रदेश में कई ईंट-भट्ठे बिना वैध अनुमति के चल रहे हैं और समय पर टैक्स भी जमा नहीं कर रहे। इन गड़बड़ियों के मद्देनजर सरकार ने ऐसे भट्ठों को चिह्नित कर उन्हें बंद करने का निर्देश दिया है।
अनियमितता के मामलों ने सरकार को किया अलर्ट
राज्य में सैकड़ों ईंट-भट्ठे ऐसे हैं जो बिना वैध अनुमति और टैक्स भुगतान के संचालित हो रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर सरकार की समीक्षा बैठक में गंभीर चर्चा हुई। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि अवैध रूप से संचालित ईंट-भट्ठे पर्यावरण और राजस्व दोनों के लिए नुकसानदेह हैं।
समीक्षा बैठक में प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा
हाल ही में हुई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता खान एवं भू-तत्व विभाग के निदेशक ने की। इस बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई:
- नीलामी से संबंधित विवाद
- भट्ठों पर बकाया राशि
- प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी सीटीई (Consent to Establish) और सीटीओ (Consent to Operate)
- राजस्व संग्रह के लक्ष्य
बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे नियमित रूप से ईंट-भट्ठों का निरीक्षण करें, बकाया राशि की वसूली सुनिश्चित करें और राजस्व संग्रह के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें।
अनियमित भट्ठों पर होगी कार्रवाई
सरकार ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि जिन ईंट-भट्ठों के पास सीटीई (Consent to Establish) और सीटीओ (Consent to Operate) की वैध अनुमति नहीं है, उन्हें चिह्नित करके तत्काल बंद किया जाए। इसके साथ ही, अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि वे हर महीने सरकार को इस कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपें।
प्रदेश में वर्तमान में 6,500 से अधिक ईंट-भट्ठे संचालित हो रहे हैं। इनमें से सैकड़ों भट्ठों पर अनियमित तरीके से काम करने के आरोप हैं।
बिहार सरकार की सख्ती के कारण
- पर्यावरणीय खतरे – अवैध ईंट-भट्ठे प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है।
- राजस्व की हानि – समय पर टैक्स न देने से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होता है।
- सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के नियम – पर्यावरण संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की सख्त गाइडलाइंस हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है।
सरकार की भविष्य की योजना
- सख्त निगरानी – सभी जिलों में नियमित निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा।
- डिजिटल रिकॉर्डिंग – ईंट-भट्ठों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार कर उनकी निगरानी की जाएगी।
- जन-जागरूकता अभियान – ईंट-भट्ठा मालिकों को वैध अनुमति लेने और नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जाएगा।