बिहार में पहली बार एक आधुनिक और हाईटेक एक्सप्रेसवे का निर्माण हो रहा है, जिसका नाम है आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे। यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे राज्य के लिए गेम-चेंजर साबित होगा, जो न केवल बेहतर कनेक्टिविटी बल्कि तेज और सुरक्षित यात्रा भी सुनिश्चित करेगा।
बिहार का पहला एक्सप्रेसवे: आधुनिक परिवहन का प्रतीक
आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे बिहार का पहला छह-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड सुपर हाईवे होगा। यह परियोजना राज्य की परिवहन प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से न केवल यात्रा तेज होगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की संभावना भी कम हो जाएगी।
189 किलोमीटर लंबा मार्ग
यह एक्सप्रेसवे गया जिले के आमस से शुरू होकर दरभंगा के नवादा गांव तक जाएगा, जिसकी कुल लंबाई 189 किलोमीटर होगी। यह उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा, जिससे राज्य के अंदरूनी इलाकों में भी बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
भारतमाला परियोजना के तहत निर्माण
आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे को केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। 2017 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य पूरे देश में हाई-स्पीड और मजबूत सड़क नेटवर्क तैयार करना है। बिहार के इस पहले एक्सप्रेसवे को इस महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा बनाना राज्य के लिए गर्व की बात है।
एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे: तेज और सुरक्षित यात्रा
यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा, जिसका मतलब है कि प्रवेश और निकास केवल विशेष स्थानों से ही होगा। यह डिज़ाइन सड़क दुर्घटनाओं को कम करेगा और बिना रुकावट के तेज और सुगम यात्रा का अनुभव देगा।
गया जिले में निर्माण कार्य शुरू
गया जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और जमीन का कब्जा एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) को सौंपा गया है। टिकारी क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण और निरीक्षण का कार्य पूरा होने के बाद निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है।
सात जिलों और 16 शहरों को जोड़ेगा
यह एक्सप्रेसवे बिहार के सात जिलों और 16 प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ेगा। इनमें आमस, रामनगर, गुरारू, पंचानपुर, बेला, बहुआरा, शाहपुर बघौनी (ताजपुर), शिव नंदनपुर (बूढ़ी गंडक), और दरभंगा जैसे स्थान शामिल हैं। इससे इन इलाकों के सामाजिक और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
2025 तक पूरा होने का लक्ष्य
एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है और इसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। गया जिले के 55 किलोमीटर लंबे मार्ग में से 40 किलोमीटर पर निर्माण कार्य प्रगति पर है, जबकि 15 किलोमीटर पर भूमि विवाद का समाधान किया जा रहा है।
बिहार के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार
यह एक्सप्रेसवे उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच दूरी को कम करेगा और परिवहन तंत्र को आधुनिक बनाएगा। इससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी।
पड़ोसी राज्यों से प्रेरणा
जहां उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पहले ही कई एक्सप्रेसवे बन चुके हैं, बिहार इस परियोजना के माध्यम से उन राज्यों की बराबरी करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह एक्सप्रेसवे राज्य के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
भारत माला परियोजना की भूमिका
भारत माला परियोजना का उद्देश्य देशभर में हाईवे और इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण कर सड़क परिवहन को बेहतर बनाना है। आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे इस योजना का हिस्सा है और बिहार में आधुनिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए इसका योगदान अमूल्य रहेगा।