Bihar Elections 2025 : चुनाव से ठीक पहले नीतीश का मास्टरस्ट्रोक? क्या 10,000 रुपये दिला पाएंगे महिला वोटरों का साथ?
News India Live, Digital Desk: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना सबसे बड़ा दांव चलने की तैयारी में हैं. खबर है कि नीतीश सरकार चुनाव से ठीक पहले राज्य की गरीब महिलाओं के खाते में सीधे 10,000 रुपये डालने की एक बड़ी योजना का ऐलान कर सकती है. इस एक कदम को राजनीति के जानकार नीतीश कुमार का 'मास्टरस्ट्रोक' मान रहे हैं, जिसका सीधा मकसद अपने सबसे भरोसेमंद वोटर यानी 'महिला वोट बैंक' को एक बार फिर साधना है.
क्या है यह योजना और किसे मिलेगा फायदा?
सूत्रों के मुताबिक, इस योजना का खाका लगभग तैयार है और इसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है. इस योजना के तहत, बिहार जाति आधारित गणना के दौरान चिन्हित किए गए लगभग 94 लाख गरीब परिवारों की महिलाओं को सीधी आर्थिक मदद दी जाएगी. हर परिवार की एक महिला सदस्य के बैंक खाते में 10,000 रुपये की रकम भेजी जाएगी. यह योजना मध्य प्रदेश की सफल 'लाडली बहना' योजना की तर्ज पर बनाई गई है, जिसने वहां बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई थी.
समय और रणनीति: सब कुछ चुनाव के लिए
इस योजना की टाइमिंग सबसे अहम है. इसे विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले लागू करने की योजना है, ताकि इसका असर सीधा वोटिंग पर दिखे. नीतीश कुमार यह अच्छी तरह जानते हैं कि महिला वोटर उनकी सबसे बड़ी ताकत रही हैं.
याद कीजिए, 2005 में जब नीतीश पहली बार सत्ता में आए थे, तब उन्होंने लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरू की थी. इस एक योजना ने उनकी छवि को 'सुशासन बाबू' के साथ-साथ महिलाओं और लड़कियों के हिमायती के तौर पर स्थापित कर दिया. इसके बाद पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण देने जैसे फैसलों ने इस वोट बैंक को और भी मजबूत किया. शराबबंदी के फैसले को भी महिला वोटरों का बड़ा समर्थन मिला था.
क्या यह दांव विपक्ष पर पड़ेगा भारी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह योजना जमीन पर उतरती है, तो यह चुनाव में 'गेम चेंजर' साबित हो सकती है.
- यह सीधे तौर पर लगभग एक करोड़ परिवारों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगी.
- यह सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी यानी सत्ता विरोधी लहर को कम करने में मदद कर सकती है.
- यह तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करेगी, क्योंकि इस योजना की काट खोजना आसान नहीं होगा.
हालांकि कुछ लोग इसे 'रेवड़ी कल्चर' यानी मुफ्त की योजनाओं से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार के लिए यह सत्ता में वापसी की चाबी भी साबित हो सकती है. अब सभी की निगाहें कैबिनेट की बैठक पर टिकी हैं, जहां इस ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लग सकती है.
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