बिहार चुनाव के नतीजे और शेयर बाज़ार: क्या नतीजों के साथ ही गिरेगा बाज़ार? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही शेयर बाज़ार में हलचल तेज़ हो गई है। एग्जिट पोल में एनडीए (NDA) की जीत की उम्मीद के बाद बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी में अच्छी तेज़ी देखी गई थी। लेकिन बाज़ार के जानकारों का मानना है कि अगर नतीजे एग्जिट पोल के अनुमानों से अलग हुए, तो निफ्टी में 5 से 7 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आ सकती है।
एक ब्रोकरेज फर्म, इनक्रीड रिसर्च (InCred Research) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अगर बिहार में एनडीए की सरकार नहीं बनती है और विपक्ष का गठबंधन सत्ता में आता है, तो निवेशक किसी भी तरह की अनिश्चितता से बचने के लिए बाज़ार में बिकवाली शुरू कर सकते हैं। ब्रोकरेज फर्म ने इसे 'गठबंधन डिस्काउंट' का नाम दिया है।
इनक्रीड की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी और जेडीयू वाले एनडीए गठबंधन की हार से निवेशकों के मन में राजनीतिक स्थिरता को लेकर डर बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि ऐसे हालात में सेंसेक्स और निफ्टी 5 से 7 प्रतिशत तक नीचे जा सकते हैं।
हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि यह गिरावट थोड़े समय के लिए हो सकती है, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि नई सरकार वित्तीय अनुशासन और नीतियों को सही तरीके से जारी रखे। रिपोर्ट के मुताबिक, "मध्यम और लंबी अवधि में इस बात से ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता में कौन है, बल्कि यह देखना ज़रूरी होता है कि नई सरकार सुधारों और वित्तीय अनुशासन को लेकर कितनी गंभीर है।"
'बिहार चुनाव' क्यों बना राजनीतिक बैरोमीटर?
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बिहार में सत्ता बदलती है, तो इसे देश की राजनीति के मिज़ाज को समझने का एक पैमाना माना जा सकता है। एग्जिट पोल के अनुसार, एनडीए और महागठबंधन (MGB) दोनों को लगभग 40% के आस-पास वोट मिलने की संभावना है, जिससे यह साफ है कि मुकाबला बहुत करीबी होने वाला है।
रिपोर्ट का मानना है कि अगर अति पिछड़े वर्ग (EBCs) और युवा वोटरों का 3 से 6 प्रतिशत झुकाव भी किसी एक तरफ हो गया, तो 100 से ज़्यादा सीटों पर नतीजे पूरी तरह से बदल सकते हैं।
जन सुराज की एंट्री से कैसे बदला समीकरण?
रिपोर्ट की मानें तो प्रशांत किशोर की पार्टी 'जन सुराज' बिहार चुनाव में करीब 10% वोट शेयर हासिल कर सकती है। इससे एनडीए के पारंपरिक वोट बैंक, जिसमें सवर्ण और गैर-यादव पिछड़े वर्ग के लोग शामिल हैं, में सेंध लग सकती है।
रिपोर्ट कहती है, "जब किसी एक बड़ी पार्टी की स्थिर सरकार की जगह गठबंधन की अनिश्चितता आती है, तो निवेशक तुरंत देश की नीतियों, वित्तीय अनुशासन और सुधारों की गति को लेकर सवाल करने लगते हैं।" इससे बाज़ार में "अस्थिरता और अनिश्चितता" का माहौल बन सकता है, जैसा कि 2004 और 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद देखा गया था। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तो सेंसेक्स और निफ्टी एक ही दिन में 6% तक गिर गए थे।
बिहार चुनाव के नतीजों का किन सेक्टर्स पर पड़ेगा असर?
इनक्रीड का कहना है कि बिहार चुनाव के नतीजों का असर सभी सेक्टर्स पर एक जैसा नहीं होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और PSU (सरकारी कंपनियों) के स्टॉक्स पर कुछ समय के लिए दबाव देखा जा सकता है, क्योंकि इन सेक्टर्स को सरकारी खर्च और नीतियों से सीधा फायदा मिलता है।
हालांकि, कंजम्प्शन (खपत), रीजनल और छोटे-मध्यम उद्यमों (SME) के शेयर, जो सीधे तौर पर लोकल अर्थव्यवस्था से जुड़े हैं, वे ऐसी राजनीतिक रूप से अस्थिर माहौल में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
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