बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म होने लगा है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खामोशी ने सबका ध्यान खींचा है।
हालांकि, नीतीश कुमार राज्य में प्रगति यात्रा निकाल रहे हैं और आम जनता से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन उनका किसी बड़े मुद्दे पर बयान न देना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार एनडीए (NDA) से नाराज चल रहे हैं, और यही कारण है कि वह कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं।
नीतीश कुमार ने प्रमुख मुद्दों पर नहीं दी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हालिया बड़े राष्ट्रीय मुद्दों जैसे वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और वन नेशन वन इलेक्शन पर अपनी कोई राय नहीं दी है।
- वह इस समय राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं और प्रगति यात्रा के जरिए जनता से मिल रहे हैं।
- इस यात्रा में बीजेपी नेताओं की भागीदारी ने और भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
- इसके बावजूद अटकलें हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी से कुछ मुद्दों को लेकर नाराज हैं।
तेजस्वी यादव के बयान ने मचाई हलचल
आरजेडी के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा:
“सीएम नीतीश कुमार होश में नहीं हैं। वे बिहार की सरकार नहीं चला रहे हैं। कुछ रिटायर्ड अधिकारी सरकार चला रहे हैं। उनके दो-चार नेता ही सरकार चला रहे हैं और उन्होंने नीतीश कुमार को पूरी तरह हाईजैक कर लिया है।”
बीजेपी ने तेजस्वी पर किया पलटवार
तेजस्वी यादव के इस बयान पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी:
“विपक्ष अब संस्कार भूल चुका है। तेजस्वी का बयान खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने जैसा है।”
संतोष सुमन ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“तेजस्वी यादव हताश हो चुके हैं। जब वह जनता के बीच जा रहे हैं, तो उन्हें कोई समर्थन नहीं मिल रहा। इसलिए वह इस तरह की बातें कर रहे हैं।”
नीतीश कुमार की नाराजगी के संभावित कारण
नीतीश कुमार की चुप्पी और बीजेपी से उनकी नाराजगी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं:
1. मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर फैसला लंबित
- एनडीए ने अभी तक बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान नहीं किया है।
- गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि यह फैसला बैठक के बाद लिया जाएगा।
- हालांकि, बीजेपी ने बार-बार कहा है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
2. दलित समुदाय को लेकर चिंता
- बिहार में दलित आबादी करीब 20% है।
- गृह मंत्री अमित शाह के आंबेडकर को लेकर दिए गए बयान पर नीतीश कुमार कथित तौर पर नाराज हैं।
- वह दलितों को नाराज नहीं करना चाहते, क्योंकि यह उनकी राजनीतिक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
3. बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग का विवाद
- राज्य में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग दिल्ली से किए जाने को लेकर नीतीश कुमार नाखुश हैं।
- उन्हें लगता है कि इससे राज्य सरकार का प्रशासनिक नियंत्रण कमजोर हो रहा है।
नीतीश की प्रगति यात्रा का मकसद
नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा का उद्देश्य जनता से संवाद करना और आगामी चुनाव के लिए समर्थन जुटाना है।
- वह जनता के मुद्दे सुन रहे हैं और सरकार की योजनाओं का फीडबैक ले रहे हैं।
- इस यात्रा को नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है।