बिहार बीजेपी में बड़ा फैसला ,सम्राट चौधरी चुने गए विधायक दल के नेता, शपथ ग्रहण की तैयारी तेज

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News India Live, Digital Desk: पटना के राजनीतिक गलियारों में जिस खबर का इंतज़ार सुबह से हो रहा था, आखिर उस पर मुहर लग गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपना 'बॉस' चुन लिया है। काफी कयास लगाए जा रहे थे, कभी मंगल पांडेय का नाम उछल रहा था तो कभी किसी और का, लेकिन बीजेपी ने अपनी उसी आक्रामक रणनीति पर भरोसा जताया है।

सम्राट चौधरी के हाथ में कमान
बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में विधायकों की भारी गहमागहमी के बीच एक बड़ा फैसला लिया गया। सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) को सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया है।
वहीं, लखीसराय से विधायक और पूर्व स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) को विधायक दल का उप-नेता चुना गया है।

इसका मतलब क्या है?
राजनीति की भाषा में समझें तो एनडीए (NDA) की सरकार में जो विधायक दल का नेता होता है, वही आमतौर पर उप-मुख्यमंत्री (Deputy CM) बनता है। यानी यह लगभग तय है कि नीतीश कुमार की नई सरकार में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ही डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालेंगे।

भावुक पल और 'पगड़ी' की चर्चा
सम्राट चौधरी के समर्थकों के लिए यह एक बहुत बड़ा पल है। आपको याद होगा कि सम्राट चौधरी अपनी उस 'पगड़ी' के लिए मशहूर हैं, जो उन्होंने कसम खाकर बांधी थी कि जब तक नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी से नहीं हटा देंगे (या सत्ता परिवर्तन नहीं होगा), तब तक पगड़ी नहीं खोलेंगे। आज जब वे उसी सरकार में भागीदार बन रहे हैं, तो राजनीति का एक पूरा चक्र घूम गया है।

बैठक के अंदर क्या हुआ?
खबर है कि बैठक बहुत ही अनुशासित माहौल में हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद रहे या नहीं, इसकी निगरानी केंद्रीय नेतृत्व सीधे कर रहा था। प्रस्ताव रखा गया और सभी विधायकों ने एक सुर में सम्राट चौधरी के नाम का समर्थन किया।

आगे की राह
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा का चुना जाना बीजेपी की एक सोची-समझी रणनीति है। सम्राट 'ओबीसी' (कुशवाहा) चेहरा हैं और विजय सिन्हा 'सवर्ण' (भूमिहार) समाज से आते हैं। इस जोड़ी के जरिए बीजेपी ने पूरे बिहार के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। अब यह दोनों नेता नीतीश कुमार के साथ राजभवन जाएंगे और सरकार गठन का दावा पेश करेंगे।

कुल मिलाकर, बिहार को नई एनडीए सरकार की तस्वीर मिल गई है। अब देखना यह होगा कि यह 'नई और पुरानी' दोस्ती बिहार को किस दिशा में ले जाती है।

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