Big change in NIRF Ranking 2025:अब संख्या के साथ ये भी देखा जाएगा शिक्षण संस्थानों के लिए नई चुनौती
News India Live, Digital Desk: Big change in NIRF Ranking 2025: भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता को मापने के लिए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क NIRF एक महत्वपूर्ण मानदंड बन चुका है। हर साल इसकी रैंकिंग जारी होती है, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षण संस्थान चुनने में मदद मिलती है। अब ख़बर आ रही है कि NIRF रैंकिंग 2025 में बड़े बदलाव किए जाने वाले हैं। इस बार संस्थानों को केवल उनकी संख्यात्मक उपलब्धियों जैसे छात्रों की संख्या या प्रकाशनों की संख्या के आधार पर ही नहीं आंका जाएगा, बल्कि कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी उनका मूल्यांकन किया जाएगा।
आगामी रैंकिंग में मुख्य रूप से एक नया मानदंड जोड़ा जाएगा, जो 'नकल विरोधी उपायों' पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी शिक्षण और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में नकल को रोकने के लिए पुख्ता व्यवस्थाएं मौजूद हों। यह एक स्वागत योग्य कदम है जो शैक्षिक ईमानदारी और गुणवत्ता को बढ़ावा देगा।
इसके साथ ही, शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता जैसे कारकों को भी NIRF रैंकिंग में महत्व दिया जा सकता है। यह संस्थानों को पाठ्यक्रम तैयार करने, अनुसंधान करने और नवाचार को बढ़ावा देने में अधिक स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
अभी तक NIRF रैंकिंग में अनुसंधान, स्नातक परिणाम, शिक्षण संसाधन, आउटरीच और समावेशिता जैसे विभिन्न मापदंडों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था। हालांकि, नए परिवर्तनों के तहत यह संभावना है कि सामाजिक समावेश Social Inclusivity, सामुदायिक सहभागिता Community Engagement, सतत विकास Sustainable Development और छात्रों के नैतिक मूल्यों के विकास जैसे क्षेत्रों पर भी जोर दिया जाए। इससे रैंकिंग अधिक व्यापक और प्रासंगिक बनेगी।
शिक्षा मंत्रालय और नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (NBA) जैसे संस्थान इन परिवर्तनों पर काम कर रहे हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारतीय शिक्षण संस्थान वैश्विक मानकों के अनुरूप गुणवत्ता प्रदान कर सकें और छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से सशक्त बनाएं, बल्कि उन्हें नैतिक और जिम्मेदार नागरिक भी बना सकें। यह निश्चित रूप से भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को और मजबूत करेगा।
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