Bhishma Panchak 2025 : देवउठनी एकादशी के बाद शुरू होंगे ये 5 पवित्र दिन, जानें कब से है और क्या हैं नियम
News India Live, Digital Desk : हिंदू धर्म में कार्तिक मास का महीना बहुत ही पवित्र (Holy) माना जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आते हैं, जिनमें देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का खास स्थान है। देवउठनी एकादशी के बाद, ठीक पांच दिनों की एक ऐसी अवधि शुरू होती है, जिसे 'भीष्म पंचक' (Bhishma Panchak) के नाम से जाना जाता है। यह अवधि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होती है और इसका धार्मिक महत्व (Religious Significance) बहुत अधिक है।
कब से शुरू हो रहा है भीष्म पंचक 2025?
पंचांग के अनुसार, साल 2025 में देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। देवउठनी एकादशी के अगले दिन, यानी 2 नवंबर 2025 से भीष्म पंचक का प्रारंभ होगा। यह पंचक 6 नवंबर 2025 तक चलेगा।
- प्रारंभ: 2 नवंबर 2025 (देवउत्थान एकादशी के अगले दिन)
- समापन: 6 नवंबर 2025 (कार्तिक शुक्ल पंचमी)
भीष्म पंचक का महत्व क्यों है?
यह पंचक महाभारत (Mahabharata) के एक महान पात्र भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah) से जुड़ा है। मान्यता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में बाणों की शैय्या पर लेटे हुए, भीष्म पितामह ने मास पर्यन्त, यानी एक महीने तक, भगवान विष्णु का स्मरण किया था। इसके बाद उन्होंने मास समाप्त होने पर, यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी (जो देवउठनी एकादशी होती है) के दिन अपना शरीर त्यागने की प्रतिज्ञा पूरी की। उसी दौरान उन्होंने एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक (जो पांच दिन होते हैं) उपवास रखा था। उन्हीं के नाम पर इस अवधि को 'भीष्म पंचक' कहा जाता है।
इस अवधि को 'यज्ञ' (Yajna) के समान पवित्र माना जाता है। कहते हैं कि इन पांच दिनों में किए गए धार्मिक अनुष्ठान (Religious Rituals), दान-पुण्य (Charity) और व्रत का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
भीष्म पंचक में क्या करें? (Rituals and Rules)
- व्रत और उपवास: इस दौरान व्रत रखना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। आप चाहें तो फलाहार कर सकते हैं या निर्जला व्रत भी कर सकते हैं, जो आपकी सामर्थ्य के अनुसार हो।
- भगवान विष्णु की पूजा: इन पांच दिनों में विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। मंत्र जाप करना चाहिए, जैसे "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"।
- पवित्र ग्रंथ पाठ: भगवद्गीता का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
- दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न (Food), वस्त्र (Clothes), या धन (Money) का दान करें।
- सात्विक जीवन: ब्रह्मचर्य (Celibacy) का पालन करें, मांस (Meat), मदिरा (Alcohol) और तमसिक भोजन (Tamsic food) से परहेज करें।
- तुलसी और केला: इन दिनों तुलसी (Tulsi) के पौधे की सेवा और केले के वृक्ष की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
किन गलतियों से बचें? (Mistakes to Avoid)
- क्रोध और ईर्ष्या: इन पावन दिनों में क्रोध (Anger), ईर्ष्या (Envy) और नकारात्मकता (Negativity) से दूर रहें।
- झूठ बोलना: सत्य (Truth) का पालन करें और झूठ (Lying) बोलने से बचें।
- निंदा: किसी की निंदा (Slander) या चुगली (Gossip) करने से परहेज करें।
- अंधेरा: तमोगुणी या सात्विक भोजन के अलावा, अंधकार से संबंधित कार्यों से बचें।
यह पांच दिन जीवन में सकारात्मकता लाने और पुण्य अर्जित (Earn merit) करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करते हैं। भीष्म पितामह की स्मृति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इन दिनों का सदुपयोग अवश्य करना चाहिए।
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