Bhaum Pradosh Vrat 2025 Katha :शिव और हनुमान जी को प्रसन्न करने का महा-मौका, जरूर पढ़ें यह चमत्कारी कथा
Bhaum Pradosh Vrat 2025 Katha :आज यानी 2 दिसंबर (मंगलवार) का दिन धार्मिक लिहाज से बहुत ही खास और शक्तिशाली है। आज 'भौम प्रदोष व्रत' है। हमारे हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान और प्रभावशाली रास्ता माना जाता है। लेकिन जब प्रदोष का संयोग मंगलवार के दिन बनता है, तो इसे 'भौम प्रदोष' कहते हैं और इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
इस दिन सिर्फ भोलेनाथ ही नहीं, बल्कि संकटमोचन हनुमान जी की भी कृपा बरसती है। जिन लोगों पर कर्ज का बोझ है या जिनकी सेहत साथ नहीं दे रही, उनके लिए आज का दिन किसी वरदान से कम नहीं है।
आज बन रहा है 3 अद्भुत योगों का संयोग
आज की पूजा इसलिए भी खास है क्योंकि ग्रहों ने एक बहुत सुंदर स्थिति बनाई है। आज सुबह से रात तक सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बना हुआ है। साथ ही रात में रवि योग भी है। ज्योतिष में माना जाता है कि इन योगों में की गई पूजा कभी खाली नहीं जाती।
नोट कर लें पूजा का शुभ समय
अगर आप आज व्रत रख रहे हैं या शाम को मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो 'प्रदोष काल' का समय सबसे उत्तम है।
- पूजा का मुहूर्त: आज शाम 05:24 बजे से रात 08:07 बजे तक।
- आपको पूजा के लिए करीब पौने तीन घंटे का समय मिलेगा। इसी दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
भौम प्रदोष व्रत कथा: एक मां की अग्नि परीक्षा
भौम प्रदोष के दिन इस कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह कहानी एक वृद्धा और उसकी अटूट भक्ति की है।
प्राचीन काल में एक नगर में एक बूढ़ी अम्मा रहती थी। उसका बस एक ही सहारा था-उसका बेटा। अम्मा हनुमान जी की बहुत बड़ी भक्त थी। वह हर मंगलवार नियम से व्रत रखती और पूजा करती। उसका विश्वास देखकर एक दिन हनुमान जी ने सोचा कि चलो, अपनी भक्त की परीक्षा ली जाए।
बजरंगबली साधु का भेष धरकर अम्मा के दरवाजे पर पहुंचे और आवाज लगाई, "क्या है कोई हनुमान भक्त, जो मेरी एक इच्छा पूरी कर सके?"
बुढ़िया फौरन बाहर आई और बोली, "महाराज, आदेश कीजिये। मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूं?"
साधु ने कहा, "मैं बहुत भूखा हूं, लेकिन मैं ऐसे भोजन नहीं करता। पहले आंगन की जमीन लीप दो, फिर वहां खाना बनाना।"
वृद्धा ने हाथ जोड़ लिए, "महाराज, बुढ़ापे के कारण कमर झुकती नहीं, जमीन लीपना मेरे बस में नहीं। आप कोई और सेवा बताएं।"
तभी साधु ने एक दिल दहला देने वाली शर्त रख दी। उन्होंने कहा, "ठीक है, तो फिर अपने बेटे को बुलाओ। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर अपना भोजन पकाऊंगा।"
यह सुनकर मां के पैरों तले जमीन खिसक गई। कलेजा मुंह को आ गया, लेकिन वह वचन दे चुकी थी और सवाल हनुमान जी की भक्ति का था। पत्थर दिल करके उसने अपने बेटे को साधु के हवाले कर दिया।
इसके बाद जो हुआ, वह रोंगटे खड़े करने वाला था। साधु ने बेटे को पेट के बल लिटाया और उसकी पीठ पर आग जलाई। अम्मा से देखा न गया और वह रोते हुए घर के अंदर चली गई। इधर भोजन बना और उधर साधु ने अम्मा को आवाज दी, "आओ माई! भोजन तैयार है, अब अपने बेटे को भी बुला लो, वह भी प्रसाद खाएगा।"
वृद्धा फूट-फूट कर रोने लगी, "महाराज! क्यों मेरे जख्मों को कुरेद रहे हो? अब मेरा बेटा कहां से आएगा?"
लेकिन साधु ने जिद पकड़ ली, "नहीं, उसे बुलाना ही होगा।" हारकर अम्मा ने भारी मन से अपने बेटे का नाम पुकारा। और तभी चमत्कार हुआ! जिस बेटे को वह मरा समझ रही थी, वह हंसते हुए घर के बाहर खड़ा था।
यह देखकर अम्मा साधु के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमान जी अपने असली रूप में आए और उस भक्त को आशीर्वाद दिया।
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