Bhai Dooj 2025 : भाई-बहन के प्रेम का अमृत पर्व जानें यमराज और यमुना की अमर कथा

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News India Live, Digital Desk: Bhai Dooj 2025 : पवित्र पर्व भाई दूज भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जिसे देशभर में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में, यह खास त्योहार 4 नवंबर, मंगलवार को पड़ रहा है, जब बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करके उनके दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं। इस पावन पर्व की शुरुआत और इसके महत्व को समझने के लिए हमें एक पौराणिक कथा में गोता लगाना होगा, जिसमें मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का जिक्र है। इसी दिव्य कहानी से भाई दूज का यह नाम भी पड़ा है और इसी में छिपे हैं इस त्योहार के गहरे मायने।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मृत्यु के देवता भगवान यमराज की एक बहन थीं, जिनका नाम यमुना था। यमुना अपने भाई से बहुत प्रेम करती थीं और हमेशा उन्हें अपने घर आकर भोजन करने के लिए निमंत्रित करती थीं। लेकिन यमराज अपने व्यस्त दिनचर्या और दायित्वों के कारण अक्सर बहन की विनती टाल देते थे।

एक बार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यमुना ने फिर यमराज को बुलाया। इस बार यमराज अपनी बहन के लगातार बुलावे और अथाह प्रेम से पिघल गए और वे स्वयं यमुना के घर पधारे। अपने भाई को घर पर देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने यमराज का पूरे आदर-सत्कार और प्रेम से स्वागत किया, उन्हें स्नान कराया और विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसकर स्वादिष्ट भोजन कराया।

बहन के इस प्रेम और आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कहा कि वे जो भी वरदान मांगना चाहें, वह मांग लें। तब यमुना ने अपने भाई से बस इतनी ही कामना की कि वे हर वर्ष इस दिन उनके घर आया करें। इसके साथ ही, यमुना ने यह भी वर मांगा कि जो भी भाई इस पावन तिथि पर अपनी बहन के घर आकर प्रेमपूर्वक भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा और वह यमलोक जाने से भी मुक्त रहेगा। उसकी आयु लंबी होगी।

यमराज अपनी बहन की इस निःस्वार्थ प्रेम और दूरदर्शी कामना से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें यह वरदान प्रदान किया। तभी से, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ‘भाई दूज’ या ‘यम द्वितीया’ के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर रोली और चावल का तिलक लगाकर उनके जीवन में सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई भी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन लेते हैं। यह त्योहार केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्तों की गहराई, त्याग और सुरक्षा के भाव को दर्शाता है।

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