समाज की नज़र में एक उम्र के बाद बिना पार्टनर के रहना किसी अपराध से कम नहीं है। ऐसे लोगों को अकेलेपन, डिप्रेशन का शिकार माना जाता है। मूवी थियेटर या रेस्टोरेंट में अकेले बैठे व्यक्ति को देखकर लोग सोचते हैं कि बेचारे के पास साथ में एंजॉय करने के लिए भी कोई नहीं है। कितना अकेलापन है। मौका मिलने पर लोग ऐसे व्यक्ति को कई तरह की रिलेशनशिप एडवाइस भी देने लगते हैं।
किसी की परवाह करना अच्छी बात है। लेकिन सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि अकेला होना और अकेलापन महसूस करना दो अलग-अलग बातें हैं। अगर आप सिंगल हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप अकेलेपन का सामना कर रहे हैं। कुछ लोग अकेले रहना पसंद करते हैं। उन्हें अकेले ही चीज़ों का मज़ा लेना पसंद है। दरअसल, हर व्यक्ति को ज़िंदगी के कुछ साल अकेले रहकर बिताने चाहिए, इसके क्या फ़ायदे हैं?
अकेलेपन और एकाकीपन के बीच अंतर
अकेलापन एक ऐसा भाव है जिसमें व्यक्ति खुद को अलग-थलग महसूस करता है। अकेलापन महसूस करना मनोवैज्ञानिक है। इसके कारण व्यक्ति दूसरों की नज़रों में खुद को नकारात्मक रूप से आंकने लगता है और खुद को अलग-थलग कर लेता है। जबकि अकेले रहना एक व्यक्तिगत पसंद है। जिसमें व्यक्ति खुद के साथ समय बिताना पसंद करता है। उसे किसी और की ज़रूरत या परवाह नहीं होती।
अकेले रहने के लाभ
– सिंगल होने से आपको खुद को समझने और पहचानने का समय मिलता है। आप अपनी इच्छाओं, प्राथमिकताओं और जीवन के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
– सिंगल रहने से आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है और आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जी सकते हैं।
– सिंगल होने का मतलब यह नहीं है कि आप अकेले हैं, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जहां आप अपनी भावनाओं और मानसिक स्थिति पर नियंत्रण रखते हैं।
– सिंगल होने से आपको अपना ख्याल रखने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
– सिंगल रहने से आप अपने व्यक्तिगत विकास और करियर पर ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं। आप नए कौशल सीख सकते हैं। आप इस समय का उपयोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।