यदि आप इंदौर में भिखारियों को पैसे देते हैं, तो 1 जनवरी 2025 से सावधान हो जाइए। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक नया कानून लागू होने जा रहा है, जिसके तहत भिखारियों को भीख देने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके तहत इंदौर को भिखारी-मुक्त बनाने की योजना है।
अभियान का उद्देश्य और प्रशासन की तैयारी
जिला प्रशासन पहले ही इंदौर में भिक्षावृत्ति पर रोक लगा चुका है। यह अभियान देश के 10 शहरों में चलाया जा रहा है, जिनमें दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद शामिल हैं। प्रशासन का उद्देश्य भिखारियों को आश्रय देना और उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
जिलाधिकारी आशीष सिंह के अनुसार, भिखारियों को जागरूक करने के लिए एक अभियान दिसंबर 2024 तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “हम जनता से अपील करते हैं कि भिखारियों को पैसे न दें। इससे वे स्वावलंबी बनने के प्रयास में शामिल हो सकेंगे।”
भिखारियों के लिए आश्रय और रोजगार की व्यवस्था
अभियान के तहत इंदौर में भिखारियों की धरपकड़ की जा रही है। पकड़े गए भिखारियों को आश्रय स्थलों में भेजा जा रहा है। यहां उन्हें छह महीने तक रहने और काम करने का प्रशिक्षण मिलेगा। सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने बताया कि एक स्थानीय संगठन सरकार की इस पहल में सहयोग कर रहा है। यह संगठन भिखारियों को आश्रय और रोजगार उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
भिक्षावृत्ति पर रोक के पीछे के कारण
इंदौर के प्रशासन ने बताया कि शहर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां भिखारी बड़ी मात्रा में धनराशि इकट्ठा कर रहे थे। कुछ मामलों में भिखारियों के पास 29,000 रुपये तक बरामद हुए। कई भिखारी पैसे उधार देकर ब्याज वसूलते थे।
इसके अलावा, कुछ गिरोह बच्चों के साथ भिक्षावृत्ति को धंधा बना रहे हैं। ऐसे गिरोहों की धरपकड़ के लिए प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है।
इंदौर की स्वच्छता और भिखारी-मुक्त अभियान
इंदौर पहले ही भारत के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में पहचाना जाता है। अब शहर प्रशासन इसे भिखारी-मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 1 जनवरी 2025 से भिखारियों को भीख देने वालों पर FIR दर्ज की जाएगी। यह अभियान तभी सफल होगा, जब नागरिक प्रशासन का सहयोग करेंगे।