नई बनाम पुरानी कर व्यवस्था: केंद्र सरकार नई कर व्यवस्था को भी आकर्षक बनाने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि नई कर व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए आगामी पूर्ण बजट में कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। पुरानी कर व्यवस्था की तरह ही निवेश पर आयकर में छूट दी जा सकती है। इसे लेकर उच्च स्तर पर विचार-विमर्श भी चल रहा है।
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अभी तक नए सिस्टम में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने पर 7.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसमें 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। इसके बावजूद लोग पुराने सिस्टम को ज्यादा किफायती मान रहे हैं। इसलिए सरकार नए सिस्टम में कुछ अतिरिक्त छूट देने पर भी विचार कर रही है। देश में इस समय 8.18 करोड़ से ज्यादा इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किए जा रहे हैं, जिसमें करीब 85 फीसदी लोग अभी भी पुराने सिस्टम के तहत रिटर्न दाखिल कर रहे हैं।
7 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है
गौरतलब है कि सरकार तीन साल पहले आयकर रिटर्न के लिए नई कर व्यवस्था लेकर आई थी, जिसमें 7 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया गया था। बाद में करदाताओं को आकर्षित करने के लिए 50,000 रुपये का मानक कटौती जोड़कर यह सीमा 7.5 लाख रुपये कर दी गई। लेकिन उसके बाद भी लोग पुरानी व्यवस्था को ही बेहतर मान रहे हैं।
कौन सी बेहतर है, पुरानी या नई कर व्यवस्था?
देश में इस समय दो तरह की टैक्स व्यवस्थाएं हैं- पुरानी और नई। पुरानी टैक्स व्यवस्था उन लोगों के लिए अच्छी है जो होम लोन की ईएमआई भर रहे हैं या जीवन/स्वास्थ्य बीमा या कहीं और निवेश कर रहे हैं। इसमें आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। वहीं, नई टैक्स व्यवस्था उन लोगों के लिए अच्छी है जिन्हें नई नौकरी मिली है और जिनके पास कोई बचत या देनदारी नहीं है। इसमें 7.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता।
पुरानी व्यवस्था में निवेश की सीमा बढ़ाने की मांग
वर्ष 2014 से केंद्र सरकार ने धारा 80सी के तहत निवेश की सीमा नहीं बढ़ाई है, जबकि इस दौरान लोगों की आय में इजाफा हुआ है। खुदरा महंगाई बढ़ने से खाद्य वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं। इसके चलते रोजमर्रा की वस्तुओं पर खर्च बढ़ने से लोगों की बचत भी प्रभावित हुई है। सीए विनीत राठी कहते हैं कि आज के समय में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट की सीमा कुछ भी नहीं है। ऐसे में 80सी के तहत निवेश की सीमा बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख रुपये कर देनी चाहिए।
नई कर व्यवस्था का आयकर स्लैब
0-3 लाख रुपये 0%
3-6 लाख रुपये 5%
6-9 लाख रुपये 10%
9-12 लाख रुपये 15%
12-15 लाख रुपये 20%
15 लाख रुपये से अधिक 30%
पुरानी कर व्यवस्था का आयकर स्लैब
0-2.5 लाख रुपये 0%
2.5- 5 लाख रुपये 5%
5-10 लाख रुपये 20%
10 लाख रुपये से अधिक 30%