BCCI Gets Strict on FitFness : अब भारतीय तेज गेंदबाजों को दौड़ना होगा ज्यादा

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News India Live, Digital Desk: BCCI Gets Strict on FitFness : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) भारतीय तेज गेंदबाजों की फिटनेस के स्तर में सुधार लाने के लिए कमर कस रहा है. हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, बोर्ड ने पाया है कि भारतीय तेज गेंदबाज पर्याप्त दूरी नहीं दौड़ रहे हैं, जिससे उनकी ऑन-फील्ड प्रदर्शन क्षमता और चोटों से बचाव पर असर पड़ रहा है. इसी समस्या को दूर करने के लिए, बीसीसीआई ने एक नया फिटनेस आकलन – ब्रोंको टेस्ट – शुरू किया है, जिसे अब यो-यो टेस्ट के साथ-साथ अपनाया जाएगा.

भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) के अध्यक्ष वीवीएस लक्ष्मण सहित अन्य कोचों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि गेंदबाजों में फिटनेस का एक महत्वपूर्ण स्तर बरकरार रखने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण और परीक्षण की आवश्यकता है. बीसीसीआई ने महसूस किया है कि वर्कलोड प्रबंधन की वजह से टेस्ट के लिए लंबी गेंदबाजी कर पाने की उनकी क्षमता कम हो रही है, जबकि टी20 जैसी प्रारूपों में उन्हें कम रन-अप और कम दौड़ना पड़ता है.

ब्रोंको टेस्ट एक सख्त कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस मूल्यांकन है. इस परीक्षण में खिलाड़ी को मैदान के एक छोर पर खड़ी एक रेखा से 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दूरी पर स्थित कोन्स के बीच पांच बार शटल रन करना होता है. इस दौरान उन्हें 20 मीटर तक जाना होता है, फिर पीछे आना होता है, फिर 40 मीटर तक जाकर पीछे लौटना होता है, और इसी तरह 60 मीटर के लिए भी दोहराना होता है. इस पूरी दूरी को कम से कम समय में पूरा करना होता है, जिसका उद्देश्य सहनशीलता और स्फूर्ति दोनों का परीक्षण करना है. बीसीसीआई का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि तेज गेंदबाज सिर्फ एक स्पेल ही नहीं, बल्कि कई स्पेल तक बिना थकान महसूस किए बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें.

पूर्व में भी भारतीय टीम ने खिलाड़ियों की फिटनेस पर ध्यान दिया है. भारत फिटनेस प्रोटोकॉल का पालन करने वाली दुनिया की पहली क्रिकेट टीम में से एक थी जब उसने पहली बार खिलाड़ियों को 'मंदाना' नाम से फैट परसेंटेज की जांच के लिए शरीर पर पिन के निशान दिए थे. हालांकि, कोविड महामारी के कारण और यात्रा तथा बायो-बबल के कड़े प्रोटोकॉल के चलते खिलाड़ी जिम में ज्यादा समय बिता रहे थे, जिसके कारण उनकी दौड़ने की क्षमता प्रभावित हुई.

ब्रोंको टेस्ट एक निर्धारित सीमा में खिलाड़ियों की फुर्ती और दमखम का मूल्यांकन करेगा, जिससे टीम मैनेजमेंट को यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन सा खिलाड़ी दबाव की स्थिति में कितना प्रदर्शन कर सकता है. इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि भारतीय तेज गेंदबाज आगामी सीरीज और टूर्नामेंटों में शारीरिक रूप से और भी मजबूत बनकर उभरेंगे, और भारत की तेज गेंदबाजी इकाई दुनिया की सबसे बेहतरीन इकाइयों में से एक बनी रहेगी.

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