Battle over Cap in Politics : तेजस्वी यादव ने नीतीश को कहा अवसरवादी , बिहार में गर्म हुई हवा

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News India Live, Digital Desk: Battle over Cap in Politics :  बिहार में चुनावी माहौल तेज़ी से गर्म हो रहा है और इस सियासी गर्माहट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि नीतीश कुमार सिर्फ 'दिखावा' करने के लिए अल्पसंख्यकों से प्यार करते हैं, क्योंकि उन्होंने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार कर दिया था.

कब और क्यों उठा ये मुद्दा?

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब एक सरकारी कार्यक्रम में एक आयोजक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश की. नीतीश कुमार ने टोपी पहनने से साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसने सियासी गलियारों में बहस छेड़ दी.

तेजस्वी का तीखा हमला: 'अल्पसंख्यक प्रेम सिर्फ दिखावा है!'

तेजस्वी यादव ने इस घटना को लपकते हुए नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अल्पसंख्यकों के प्रेम को सिर्फ एक चुनावी मुद्दा या दिखावा मानते हैं. जब मुसलमानों से टोपी पहनकर मिलना होता है, तो उनसे नफ़रत क्यों? टोपी तो एक सम्मान और संस्कृति का प्रतीक होती है. यह दर्शाता है कि आप सामने वाले के धर्म और संस्कृति का सम्मान कर रहे हैं."

तेजस्वी ने आगे कहा कि "अगर कोई व्यक्ति उनके लिए काम करता है, तो उसे उनकी टोपी, उनका कल्चर या उनका पहनावा देखकर प्यार क्यों कम हो जाना चाहिए? ऐसा व्यक्ति हमेशा अपने वोटबैंक के लिए ही कुछ करता है." उनका यह बयान सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर 'तुष्टिकरण की राजनीति' का आरोप था, यानी अल्पसंख्यकों का सिर्फ वोटों के लिए इस्तेमाल करना.

भाजपा-जेडीयू की गठबंधन में तेजस्वी ने ढूंढी कमी?

RJD और महागठबंधन लंबे समय से नीतीश कुमार पर अवसरवादी राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं. अब तेजस्वी यादव ने इस टोपी वाले विवाद के जरिए नीतीश कुमार और उनके भाजपा के साथ गठबंधन पर निशाना साधा है. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा के दबाव में हैं और इसलिए मुस्लिम समुदाय के प्रति अपना समर्थन खुलकर नहीं दिखा सकते.

यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार और जदयू इस आरोप का क्या जवाब देते हैं. फिलहाल, यह मुद्दा बिहार की राजनीति में अल्पसंख्यकों के वोट को लेकर नई बहस छेड़ रहा है.

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