Bank Merged: केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय पर विचार नहीं कर रही है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय से बेहतर समन्वय में मदद मिली है। पंकज चौधरी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय ने भौगोलिक विविधीकरण को सुविधाजनक बनाने, नए बाजारों में प्रवेश करने और ग्राहक आधार का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा- बैंकिंग आउटलेट के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब दूरदराज के क्षेत्रों में बड़े ग्राहक आधार की मांग को पूरा करते हैं जहां वित्तीय सेवाएं दुर्लभ थीं। यह न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है बल्कि क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने आखिरी बार साल 2019 में 10 बैंकों का चार में विलय किया था। यह एक अप्रैल, 2020 से प्रभावी हुआ था।
किस बैंक का किसमें विलय हुआ?
पिछली बार ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में किया गया था। वहीं, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया गया था। इसके अलावा सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय किया गया था। साल 2019 में सरकार ने विजया बैंक और देना बैंक का विलय बैंक ऑफ बड़ौदा में किया था। इससे पहले सरकार ने एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में किया था।
बैंक सरकारी वित्तपोषण पर निर्भर नहीं हैं
इस बीच मंगलवार को लोकसभा ने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 पारित कर दिया। इस दौरान सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय बैंक आज स्थिर हैं, अच्छी स्थिति में हैं और अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा रहे हैं। भारत को अपने बैंकिंग क्षेत्र पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पेशेवर तरीके से काम कर रहे हैं और सरकारी फंडिंग पर निर्भर नहीं हैं।