भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान ने बांग्लादेश में भी चर्चा का विषय बना दिया है। जयशंकर ने कहा था कि बांग्लादेश को स्पष्ट रूप से यह बताना चाहिए कि वह भारत के साथ किस तरह के संबंध रखना चाहता है। इसके जवाब में बांग्लादेश ने जोर देकर कहा कि उनके देश के अल्पसंख्यकों का मुद्दा भारत की चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, बल्कि यह बांग्लादेश के आंतरिक मामलों का हिस्सा है। साथ ही, बांग्लादेश ने भारत से भी अपेक्षा जताई कि वह अपने संबंधों पर स्पष्ट रुख अपनाए।
विदेश मामलों के सलाहकार का बयान
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि जयशंकर ने फिर से अल्पसंख्यकों के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा मुख्य रूप से भारतीय मीडिया द्वारा तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। तौहीद ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यक उनके अपने नागरिक हैं, और उनकी सुरक्षा एवं अधिकार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने अल्पसंख्यकों के साथ कैसे व्यवहार करना है, यह भारत की अपनी चिंता है, न कि बांग्लादेश की।
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संबंधों पर दोनों देशों का आपसी रुख
तौहीद ने यह भी कहा कि बांग्लादेश इस बात का निर्णय स्वयं लेगा कि वह भारत के साथ किस तरह का रिश्ता रखना चाहता है, ठीक उसी तरह जैसे भारत को भी यह तय करना होगा कि वह बांग्लादेश के साथ कैसा व्यवहार करना चाहता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास स्पष्ट नीति है—हमें उन मुद्दों में दखल नहीं देना चाहिए जो हमारे देश के नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा से संबंधित हैं।” उनका मानना है कि दोनों देशों के संबंध आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित होने चाहिए, और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर काम करना होगा।
विवादास्पद बयान और राजनीतिक टिप्पणियाँ
तौहीद ने यह भी बताया कि जब एक ओर भारतीय राजनीतिक मंच पर बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लेकर विभिन्न टिप्पणी की जा रही हैं, वहीं वहीं कुछ भारतीय राजनेता भी ऐसे बयान देते हैं जो तनाव बढ़ाने का काम करते हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक भारतीय मुख्यमंत्री ने तो यह सुझाव भी दिया था कि यदि संभव हो तो संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स को बांग्लादेश भेजा जाना चाहिए। इसके अलावा, एक केंद्रीय मंत्री के बार-बार बांग्लादेश विरोधी बयान भी दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
संबंधों में सुधार की आवश्यकता
तौहीद ने जोर देकर कहा कि इस बात पर ध्यान केंद्रित करने से बेहतर है कि दोनों देशों अपने संबंधों को मजबूत करने के प्रयास करें। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में किसी भी तरह की आंतरिक अस्थिरता या मुद्दों से निपटना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा बयान जो तनाव बढ़ाए, उसे रोकने की आवश्यकता है। तौहीद ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है और इसके लिए दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट संवाद और सम्मान जरूरी है।