जोधपुर, 18 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के निलम्बन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाब तलब किया है। कोर्ट ने डॉ शैलेन्द्र लोमरोड़ की रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए आदेश दिया है। इसमें वरिष्ठ चिकित्सक की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की।
नागौर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत जेएलएन ज़िला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक डॉ शैलेंद्र लोमरोड की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी व विनीता ने रिट याचिका दायर कर बताया कि वह गत 14 वर्ष से चिकित्साधिकारी पद पर सेवारत है और 10 मई 2024 की रात्रि में नाईट-ऑफ /रात्रि अवकाश पर होने और ऑन कॉल ड्यूटी पर होने के कारण अस्पताल के इंचार्ज द्वारा उसे केवल इस कारण निलंबित कर दिया गया कि ईलाज के दौरान प्रसूता की मृत्यु हो गई। वस्तुत: मरीज की मृत्यु होने के समय वह न तो ड्यूटी पर था और न ही नियमानुसार कॉल कर अस्पताल बुलाया गया। जबकि रात्रिकालीन ड्यूटी पर सीएमओ/ केजुयल्टी मेडिकल ऑफिसर और अन्य चिकित्सक भी मौजूद थें।
याची की ओर से बताया गया कि नियमानुसार चिकित्सा अधिकारी राज्य सेवा के अधिकारी होते हैं जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार / सचिव, चिकित्सा विभाग द्वारा होती हैं और प्रारंभिक जांच में सुनवाई के अवसर देने के बाद प्रथमदृष्ट्या दोषी होने पर कार्मिक विभाग ही अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित कर सकता है लेकिन निलंबन करने हेतु ज़िला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के पास कोई अधिकारिता औऱ क्षेत्राधिकार नहीं है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इन्तज़ार किये बिना व उसके रात्रि ड्यूटी पर नहीं होने के बावजूद भी उसे बेवज़ह निलंबित किया गया है।
मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने 11 मई के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार सहित अन्य को जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 14 अगस्त 2024 को नियत की।