जयपुर, 22 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री का पीए बनकर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को धमकाने के मामले में याचिकाकर्ता रामस्वरूप और उसकी पत्नी सरोज के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कहा है कि वह तीस और 31 मई को जांच अधिकारी के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर हो। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश रामस्वरूप व सरोज की याचिका पर दिए।
याचिका में सियाराम शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता स्वयं सरकारी कर्मचारी है और उसकी पत्नी मोटर व्हीकल सब इंस्पेक्टर भर्ती में चयनित अभ्यर्थी है। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के फोन से बोर्ड अध्यक्ष को फोन कर कहा था कि उनकी ओर से पहले चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था और अब उस प्रार्थना पत्र को वापस क्यों लिया जा रहा है। इस दौरान दोनों पक्षों में बहस जरूर हुई थी, लेकिन उसने सीएम का पीए बनकर बोर्ड सचिव को नहीं धमकाया। यदि याचिकाकर्ता को ऐसा करना होता तो वह अपनी पत्नी के मोबाइल से फोन क्यों करता। इसके अलावा बोर्ड अध्यक्ष ने इस घटना की जानकारी अपने एक्स अकाउंट पर 24 अप्रेल को देते हुए 19 अप्रेल की घटना बताई, लेकिन मामले में एफआईआर 7 मई को दर्ज कराई गई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि बोर्ड अध्यक्ष मामले को हाई प्रोफाइल बनाकर केवल पब्लिसिटी बटोरना चाहते हैं। याचिकाकर्ता पुलिस जांच में सहयोग को तैयार हैं, लेकिन पुलिस उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाते हुए उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को कहा है।