जयपुर, 8 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने चिरंजीवी योजना की आय बंद होने का हवाला देकर संविदा पर कार्यरत लैब टेक्नीशियन को राहत देते हुए उसे हटाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सा सचिव व निदेशक सहित अन्य से जवाब मांगते हुए उसकी जगह किसी अन्य को नहीं लगाने के लिए कहा है। अदालत ने यह आदेश भूपेन चौधरी की याचिका पर दिया।
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति गत वर्ष दौसा की सीएचसी में संविदा पर हुई थी। एक साल के दौरान ही 29 फरवरी 2024 को उसकी सेवा यह कहते हुए खत्म कर दी कि चिरंजीवी योजना की आय बंद हो रही है। इसके बाद याचिकाकर्ता को 31 मार्च 2024 को सेवा से रिलीव भी कर दिया।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि प्रदेश में चिरंजीवी योजना से 12 लाख से ज्यादा लोगों को निशुल्क उपचार मिल चुका है। वहीं बजट 2023-24 के अनुसार इस योजना में वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज को भी 10 लाख रुपए से बढाकर 25 लाख रुपए कर दिया है। ऐसे में याचिकाकर्ता की सेवा खत्म करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। वहीं केवल योजना से आय नहीं मिलने का हवाला देकर उसे हटाना मनमानी पूर्ण है। याचिका में कहा गया कि यह योजना अभी भी जारी है। इसलिए उसे हटाने के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है