जिंदा बम प्रकरण में नाबालिग को जमानत, तीन माह में सुनवाई पूरी करने के भी आदेश

नई दिल्ली/ जयपुर, 14 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे नाबालिग आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। वहीं अदालत ने मामले की सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड को प्रकरण की सुनवाई तीन माह में पूरी करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। एएजी शिवमंगल शर्मा ने बताया कि कानून के अनुसार किसी भी किशोर आरोपी को तीन साल से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती है। इस आधार पर ही आरोपी को जमानत का लाभ दिया गया है।

एएजी शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग आरोपी को रोजाना सुबह दस बजे से 12 बजे तक एटीएस कार्यालय में उपस्थिति देने, जेल अधिकारियों को पासपोर्ट जमा कराने, बिना अनुमति विदेश यात्रा नहीं करने, किसी भी गैर कानूनी संगठन में शामिल नहीं होने और किसी भी निषिद्ध गतिविधि में शामिल होने या संबंधित व्यक्तियों से संपर्क करने पर उसे पुन: गिरफ्तार करने को कहा है।

जमानत याचिका में कहा गया था कि उसे जयपुर ब्लास्ट के मुख्य केस में बरी कर दिया था। इसके अलावा वह घटना के समय 16 साल और तीन माह की उम्र का था। वह वर्ष 2019 से जिंदा बम प्रकरण में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहा है। जबकि कानूनन किसी भी नाबालिग आरोपी को तीन साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जमानत का विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप है। ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जाए। वहीं एएजी की ओर से जमानत देने पर आरोपी पर कुछ शर्त लगाने को कहा। इस पर अदालत ने इन शर्तो के साथ आरोपी को जमानत पर रिहा करने को कहा है। एएजी ने बताया कि भले की सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी हो, लेकिन अहमदाबाद और सूरत धमाकों में लिप्तता के कारण वह जेल में ही रहेगा।