वक्फ बोर्ड की भर्ती से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जावेद इमाम सिद्दीकी को जमानत

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नई दिल्ली, 14 नवंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की भर्ती से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जावेद इमाम सिद्दीकी को जमानत दे दी है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने जमानत देने का आदेश दिया। इसी मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आज ही आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को रिहा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि सामान्य तौर पर स्वतंत्रता अधिकार है और उससे तभी वंचित रखा जा सकता है, जब उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए। आरोपित को त्वरित ट्रायल का अधिकार है और अदालतों को जमानत पर फैसला करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

सुनवाई के दौरान ईडी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जावेद इमाम सिद्दीकी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड का मार्च, 2016 से लेकर अक्टूबर, 2016 तक अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दूसरे परिचितों को विभिन्न पदों पर नियुक्ति करके आर्थिक लाभ हासिल किया। ईडी के मुताबिक अध्यक्ष पर रहने के दौरान जावेद इमाम सिद्दीकी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का आवंटन बिना किसी टेंडर बुलाये ही किया। कई संपत्तियों का टेंडर केवल रिजर्व प्राइस पर कर दिया गया।

ईडी ने कहा कि 2017 से 2022 तक जावेद इमाम सिद्दीकी और उसकी पत्नी के खाते में 11 करोड़ रुपये जमा हुए जो मनी लांड्रिंग की रकम थी। सुनवाई के दौरान जावेद इमाम सिद्दीकी की ओर से पेश वकील ने कहा कि जावेद इमाम सिद्दीकी का नाम सीबीआई की एफआईआर या चार्जशीट में नहीं था। वह 11 नवंबर, 2023 को अपनी गिरफ्तारी से पहले 15 बार ईडी की पूछताछ में शामिल हो चुका है लेकिन इसके बावजूद ईडी ने उसे जानबूझकर फंसाया है।

राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आज ही कहा कि अमानतुल्लाह खान के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं, लेकिन उसके खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए अनुमति नहीं ली गई है। ऐसे में ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूरक चार्जशीट की दूसरी आरोपित मरियम सिद्दीकी को बरी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मरियम सिद्दीकी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। ईडी ने 2 सितंबर को अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था।