बैगलेस स्टूडेंट्स: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए बैगलेस डे के क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। मंत्रालय का मानना है कि इससे स्कूलों में पढ़ाई अधिक आनंदमय, अनुभवात्मक और तनाव मुक्त होगी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की इकाई पीएसएस केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान द्वारा विकसित ये दिशा-निर्देश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 की चौथी वर्षगांठ पर जारी किए गए हैं।
इसे अध्ययन योजना का अभिन्न अंग बनाना
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “10 बैगलेस डेज़ के पीछे का विचार उन्हें कक्षा 6-8 तक की शिक्षा की मौजूदा अध्ययन योजना के अलावा शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बनाना है। यह न केवल किताबी ज्ञान और ज्ञान के अनुप्रयोग के बीच की सीमाओं को कम करेगा, बल्कि बच्चों को कार्य क्षेत्रों में कौशल आवश्यकताओं से भी परिचित कराएगा, जिससे उन्हें अपने भविष्य के करियर का रास्ता तय करने में मदद मिलेगी।” आपको बता दें कि NEP, 2020 ने सिफारिश की थी कि कक्षा 6-8 के सभी छात्रों को 10-दिवसीय बैगलेस अवधि में भाग लेना चाहिए।
बच्चे करेंगे इंटर्नशिप
उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक छात्र कक्षा 6-8 के दौरान एक मनोरंजक पाठ्यक्रम लेगा, जो राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा तय किए गए और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित महत्वपूर्ण व्यावसायिक कौशल जैसे बढ़ईगीरी, बिजली का काम, धातु का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाना आदि का सर्वेक्षण और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा।’’ मंत्रालय ने कहा कि सभी छात्र कक्षा 6-8 के दौरान किसी समय 10-दिवसीय बैगलेस अवधि में भाग लेंगे, जिसके दौरान वे स्थानीय व्यावसायिक विशेषज्ञों जैसे बढ़ई, माली, कुम्हार आदि के साथ इंटर्नशिप करेंगे।
दो या तीन स्लॉट रखे जाएंगे
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, “वार्षिक कैलेंडर में 10 बैगलेस दिनों की गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है। लेकिन दो या तीन स्लॉट रखना उचित है। वार्षिक कार्य योजना विकसित करते समय, सभी विषय शिक्षकों को शामिल किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो, तो इनडोर और आउटडोर गतिविधियों को एक दिन में जोड़ा जा सकता है।”
ये गतिविधियां होंगी
एनसीईआरटी के दिशा-निर्देशों में शामिल गतिविधियों में सब्जी मंडियों का दौरा और सर्वेक्षण; धर्मार्थ कार्य के लिए भ्रमण; पालतू जानवरों की देखभाल पर सर्वेक्षण और रिपोर्ट लेखन; चित्रांकन, पतंग बनाना और उड़ाना; पुस्तक मेले का आयोजन; बरगद के पेड़ों के नीचे बैठना; तथा बायोगैस संयंत्रों और सौर ऊर्जा पार्कों का दौरा करना शामिल हैं।