40 वर्ष की आयु के बाद सोने में कठिनाई या अनिद्रा गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। शोध से पता चलता है कि इस उम्र के बाद हमारे शरीर की नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है, जिसके कारण शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है। इस स्थिति को ‘साइलेंट किलर’ कहा जा रहा है क्योंकि यह सीधे व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र के साथ नींद की जरूरतें भी बदलती हैं, लेकिन फिर भी 7-8 घंटे की नींद जरूरी है। नींद की समस्या हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी और अवसाद जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
ऐसा क्यों होता है
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित वर्मा का कहना है कि 40 के बाद शरीर में नींद को नियंत्रित करने में मदद करने वाले मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। इसके कारण लोग अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं। इस उम्र में नींद की कमी से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो जानलेवा हो सकता है।
अनिद्रा के नुकसान:
अनिद्रा व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता और जीवन की गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करती है। यह समस्या न केवल रात में बल्कि दिन में भी थकान और कमजोरी का कारण बन सकती है। डॉक्टर इस स्थिति से बचने के लिए कुछ सुझाव देते हैं, जैसे सोने से पहले स्क्रीन पर समय कम करना, कैफीन का सेवन कम करना और रात में विश्राम व्यायाम करना। अनिद्रा को सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर यह समस्या एक हफ्ते से ज्यादा समय तक बनी रहे तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह ‘साइलेंट किलर’ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।