
आयुष्मान भारत योजना: निजी अस्पतालों का कहना है कि योजना के तहत तय की गई कम दरें और भुगतान में देरी के कारण उनके लिए ऑपरेशन करना मुश्किल हो रहा है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, योजना शुरू होने के बाद से 600 से अधिक निजी अस्पतालों ने स्वेच्छा से इस योजना से बाहर निकलने का फैसला किया है।
गुजरात में सबसे अधिक संख्या में अस्पताल बंद हो रहे हैं।
आयुष्मान भारत योजना से बाहर निकलने वाले निजी अस्पतालों की संख्या गुजरात राज्य में सबसे अधिक है। यहां 233 अस्पतालों ने योजना से हटने का विकल्प चुना है। इसके बाद केरल में 146 और महाराष्ट्र में 83 अस्पतालों ने भी ऐसा ही कदम उठाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार अब तक कुल 609 निजी अस्पतालों को इस योजना से बाहर रखा गया है। यह स्थिति उस योजना के लिए चिंता का विषय बन गई है, जिसका लक्ष्य देश के 10 करोड़ परिवारों या लगभग 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करना है।
निजी अस्पतालों के बारे में शिकायतें
निजी अस्पतालों का कहना है कि योजना के तहत निर्धारित कम दरें और भुगतान में देरी के कारण उनके लिए ऑपरेशन करना मुश्किल हो रहा है। कई अस्पतालों ने दावा किया है कि राज्य सरकारों द्वारा समय पर धनराशि जारी नहीं करने के कारण उन्हें धनराशि नहीं मिल पा रही है, जिससे वे योजना में भाग लेना जारी रखने में असमर्थ हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की हरियाणा शाखा के अंतर्गत आने वाले सैकड़ों निजी अस्पतालों ने फरवरी में घोषणा की थी कि वे इस योजना के तहत सेवाएं देना बंद कर देंगे, क्योंकि उन पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान बकाया है। इसके बाद पंजाब और जम्मू-कश्मीर के निजी अस्पताल और नर्सिंग होम एसोसिएशनों ने भी इसी तरह की मांग उठाई।
छत्तीसगढ़ और गुजरात जैसे राज्यों में कुछ उपचार पैकेज केवल सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित हैं और सरकारी अस्पतालों से रेफरल की कमी के कारण निजी अस्पताल भी इससे बाहर निकल रहे हैं। मंत्री जाधव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने राज्य के अस्पतालों के लिए 15 दिनों के भीतर और राज्य के बाहर के अस्पतालों के लिए 30 दिनों के भीतर दावों का भुगतान करने के निर्देश जारी किए हैं।
योजना का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति
आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को रांची, झारखंड में किया था। यह योजना गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है। प्रारंभ में, इस योजना के अंतर्गत 107.4 करोड़ गरीब परिवार शामिल थे, जो 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार भारत की आबादी के निचले 40 प्रतिशत थे। जनवरी 2022 में लाभार्थी आधार को संशोधित कर 55.0 करोड़ व्यक्ति या 12.34 करोड़ परिवार कर दिया गया। 2024 में 37 लाख आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ के लिए शामिल किया गया और साल के अंत तक 70 वर्ष से अधिक आयु के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को भी इसमें शामिल करने की घोषणा की गई।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार का कहना है कि वह इस समस्या को हल करने के लिए कदम उठा रही है। हरियाणा में आयुष्मान भारत की संयुक्त सीईओ अंकिता अधिकारी ने कहा कि धनराशि जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और एक सप्ताह के भीतर स्थिति को संभाल लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों की शिकायतों को गंभीरता से लेने और पैकेज दरों की समीक्षा करने तथा भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही है।
आगे की चुनौतियां
इस योजना से अब तक करोड़ों मरीज लाभान्वित हुए हैं और करीब 36 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं, लेकिन निजी अस्पतालों के बाहर जाने से इसके भविष्य को खतरा पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भुगतान प्रणाली में सुधार नहीं किया गया तो और अधिक अस्पताल बंद हो सकते हैं, जिससे सबसे अधिक नुकसान गरीब और जरूरतमंद मरीजों को होगा।