अशोकनगर : जो सदाचार का पालन करते है वो दीर्घायु होते है स्वर्ग जाते है: मुनि श्री आदित्य सागर 

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अशोकनगर, 07 दिसम्बर (हि.स.)। सदाचार भले ज्यादा न हो कम से कम खान पान एवं रहन सहन में सही रहना चाहिए। अगर बेटे को बाजार में खाना ज्यादा पसंद आने लगे तो समझ जाना या तो मां को खाना बनाना नही आता या फिर बेटे की चटोरी जीभ है। यह बात मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने शनिवार को सुभाष गंज स्थित जैन मंदिर प्रांगण में अपने प्रवचनों में कही।

उन्होंने कहा कि जो देव शास्त्र गुरु पर जितनी अधिक श्रद्धा रखता है वो उतना अधिक आयु वाला होता है, आपको स्वयं अपना आकलन करना चाहिए एवं अपना रिपोर्ट कार्ड खुद बनाए और देखे कि आप खुद कितने पानी में है, जरा अपने अंदर की गहराइयों में डूबें और स्वयं का आकलन करे, अपना आकलन खुदसे करे दूसरों ने जो किया जैसा किया उससे न करे। मुनिश्री ने कहा कि कुछ लोग दो सीडी एक साथ चलते है और कुछ लोग एक सीडी भी ठीक से नही चढ़ पाते है दूसरों को देख कर कार्य न करे आपको खुदको देखकर सोच समझ कर निर्णय करना है कि जितनी क्षमता आपके पास है उसके हिसाब से रास्ता समझे और निर्णय ले।

साथ निभाना सीखोंमुनि श्री ने कहा कि अगर आपको लंबी आयु चाहिए तो जीवन नियमों का पालन कर जीए पानी छानकर पीए, रात्रि भोजन का त्याग करे, मन से ईर्षा का त्याग करे, किसी के प्रति मन मुटाव न रखे। आप अगर एक पात्र में पानी है भरते है और उसको फ्रिज में रखते है तो पानी कम नही होगा वो वैसा का वैसा ही रहेगा परंतु अगर आपको उसको आग पर तपायेंगे तो पानी कम भी होगा और पूरा समाप्त भी होगा इसलिए मन को बर्फ की तरह ठंडा रखा उसको आग की तरह गरम न रखे। अगर आपकी भावना में सद्भावना की भावना है तो वो बढ़ेगी जितना आपने धीरज और धैर्य रखेंगे जितनी अच्छी अपनी भावना रखेंगे आपकी आयु उतनी ही बढ़ेगी।

आपको किसी के भी प्रति ईर्षा की भावना नहीं होनी चाहिए, सबके प्रति एक सी भावना होनी चाहिए। आज के समय में सबको अपना छोड़ दूसरों की चिंता ज्यादा बनी रहती है उनको ये मतलब नहीं कि स्वयं के यहां क्या हो रहा है क्या चल रहा है परंतु दूसरों के यहां क्या चल रहा है उसकी समस्त जानकारी है दूसरों की चिंता ज्यादा लगी रहती है आप जैसी स्वयं के प्रति रखते है वैसी ही दूसरों के प्रति रखे।

सात्विकता आपकी दीर्घायु का कारण हैमुनि श्री ने कहा कि आपकी आंखों को सात्विक होना चाहिए और ये निर्णय आपको स्वयं को करना है कि आप दूसरों को किस दृष्टि से देख रहे है।अशोकनगर में सब के सब मुनि भक्त है ये हमने आगवानी में देख लिया है चारों और जन सैलाब सिर्फ मुनि की झलक पाने के लिए। अशोकनगर की जनता मुनि भक्त थी, है और हमेशा रहेगी।

आपको किसी भी व्यक्ति विशेष की बातों पर विश्वास नही करना चाहिए या किसी की बातें सुन कर आपको निर्णय नही लेना है आपको खुद स्वयं जाकर देखना चाहिए परखना चाहिए उसके बाद कोई भी बात का निर्णय लेना चाहिए। हीरे देखने वाले हजारों है परंतु लेने वाला कोई एक ही होगा।मुनि श्री ने आज के प्रवचन में मुनि तरुण सागर जी की बात बताई मुनि श्री कहते थे कि किसी भी लड़ लेना झगड़ लेना परंतु बातें करना कभी बंद मत करना, बात बंद करने से आगे के सारे दरवाजे बंद हमेशा के लिए बंद हो जाते है।