RSS प्रमुख मोहन भागवत के मस्जिद-मंदिर और हिंदुत्व से जुड़े बयान के बाद देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि देश में हो रही हर गतिविधि RSS के एजेंडे का हिस्सा है।
ओवैसी का बयान: RSS पर आरोप
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा:
- “जो कुछ भी देश में हो रहा है, वह RSS के इशारे पर हो रहा है।
- मंदिर, मस्जिद विवाद, लव जिहाद, मॉब लिंचिंग, UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड), और वक्फ बोर्ड जैसे मुद्दे RSS का एजेंडा हैं, जिसे बीजेपी लागू कर रही है।
- वक्फ बिल भी RSS की देन है।”
संभल का मुद्दा उठाया
- ओवैसी ने आरोप लगाया कि संभल में जो कुछ भी हो रहा है, वह बीजेपी सरकार की योजनाबद्ध रणनीति और आशीर्वाद के तहत हो रहा है।
- उन्होंने सवाल उठाया, “क्या 1963 से पहले RSS ने राम मंदिर का जिक्र किया था?”
मोहन भागवत का बयान: विवाद की शुरुआत
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने 19 दिसंबर 2024 को पुणे में कहा था:
- “राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग नई जगहों पर ऐसे ही मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बनना चाहते हैं, जो स्वीकार्य नहीं है।”
साधु-संतों की नाराजगी
- उनके इस बयान पर कई साधु-संतों ने नाराजगी जताई।
- बाद में RSS के मुखपत्र पांचजन्य ने भी इस पर संपादकीय लिखकर मंदिरों को राजनीतिक लाभ का साधन बनाने की निंदा की।
पांचजन्य का संपादकीय: मंदिरों पर राजनीति की निंदा
RSS के मुखपत्र पांचजन्य ने संपादकीय में लिखा:
- मंदिर हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना स्वीकार्य नहीं है।
- भ्रामक प्रचार और मंदिरों से जुड़े मुद्दों पर अनावश्यक बहस चिंताजनक है।
- सोशल मीडिया ने इस तरह की प्रवृत्ति को और तेज कर दिया है।
कड़ी चेतावनी
- “ऐसे तत्व, जो हर गली-मोहल्ले से हिंदू मंदिरों के उद्धार के नाम पर अपनी राजनीति चमका रहे हैं, उन्हें इसे बंद करना होगा।”