Asaduddin Owaisi's big claim: बिहार में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप, इंडिया गठबंधन को कहा अस्वीकार्य

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News India Live, Digital Desk: Asaduddin Owaisi's big claim:  बिहार की राजनीति में सियासी घमासान तेज होता जा रहा है, और इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी एंट्री से समीकरणों को और उलझा दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए ओवैसी ने हाल ही में भारत के चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया है कि वोटर लिस्ट में बड़ी धांधली चल रही है, जिसमें खासकर मुस्लिमों और दलितों के लाखों नाम गायब कर दिए गए हैं, या उनके बदले डुप्लीकेट नामों को जोड़ दिया गया है। ओवैसी ने दावा किया है कि पूर्णिया के वोटर लिस्ट में ही लगभग एक लाख फर्जी नाम जोड़ दिए गए हैं और चालीस हजार वास्तविक वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं। वह इन गड़बड़ियों को एक गहरी साजिश का हिस्सा मान रहे हैं, जिससे इन कमजोर वर्गों के मतदान के अधिकार पर चोट की जा सके।

ओवैसी यहीं नहीं रुके। पटना में कांग्रेस द्वारा विपक्षी एकता को एकजुट करने की लगातार जारी कोशिशों के बीच, उन्होंने विपक्ष के नए बने 'इंडिया' (INDIA) गठबंधन में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख ने अपनी बात को बेहद मुखर तरीके से रखते हुए कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बीजेपी की 'बी-टीम' तक कह दिया है। उनके मुताबिक, अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 'ए-टीम' है, तो कांग्रेस और आरजेडी 'बी-टीम' हैं, जो सांप्रदायिक ताकतों से पूरी शिद्दत से नहीं लड़ते। ओवैसी ने तर्क दिया है कि जो पार्टियां मुसलमानों और दलितों के मुद्दों पर सच्ची लड़ाई नहीं लड़ सकतीं, उनके साथ गठबंधन का कोई मतलब नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि बीजेपी की गलत नीतियों को असली चुनौती देने में 'इंडिया' गठबंधन में शामिल पार्टियां नाकाम रही हैं।

कांग्रेस लगातार सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रही है, खासकर अगले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए। उनकी रणनीति सभी विरोधी स्वरों को एक मंच पर लाकर बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा करने की है। हालांकि, ओवैसी का यह स्टैंड इस व्यापक विपक्षी एकता के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है, क्योंकि एआईएमआईएम की बिहार में कुछ सीटों पर पकड़ मानी जाती है, जिससे वोटों का बंटवारा हो सकता है।

ओवैसी के अनुसार, बिहार में विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मतदाताओं की सूची में किया गया यह कथित हेरफेर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने अपनी पार्टी को 'मजलूमों' और 'पिछड़े वर्गों' की आवाज़ बताया है, जो बिना किसी दबाव के अपनी लड़ाई लड़ेगी। देखना यह होगा कि ओवैसी की यह राजनीतिक चाल बिहार के आने वाले सियासी नतीजों को किस हद तक प्रभावित कर पाती है और विपक्षी एकता पर इसका क्या असर पड़ता है।

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