मौसम पूर्वानुमान: मौसम विभाग के मुताबिक देश से मॉनसून के विदा होते ही ला नीना का असर मॉनसून के आखिरी हफ्ते या मॉनसून के बाद देखने को मिलेगा. यदि सर्दी शुरू होने से पहले ला नीना की स्थिति बनती है तो मध्य दिसंबर से जनवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ेगी। मौसम विभाग का अनुमान है कि सितंबर से नवंबर तक ला नीना के असर की 66 फीसदी संभावना है. नवंबर से जनवरी 2025 तक उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों में इसकी संभावना 75 फीसदी से ज्यादा है.
ला नीना प्रभाव में देरी
वर्तमान में, पश्चिमी प्रशांत महासागर में सतह का तापमान औसत से ऊपर है, जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान औसत के करीब या नीचे रहता है। आईएमडी के अनुसार, ला नीना के प्रभाव में देरी हुई है क्योंकि दोनों छोरों के बीच तापमान का अंतर शून्य के करीब है।
ला नीना क्या है?
ला नीना और अल नीनो दोनों समुद्री और वायुमंडलीय घटनाएं हैं जो आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच शुरू होती हैं और अक्टूबर और फरवरी के बीच मजबूत हो जाती हैं। हालाँकि यह स्थिति आमतौर पर 9 से 12 महीने के बीच रहती है, कभी-कभी यह दो साल तक भी रह सकती है। ला नीना एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें समुद्र की सतह पर हवा का दबाव कम हो जाता है। इससे समुद्र की सतह का तापमान काफी गिर जाता है और परिणामस्वरूप वैश्विक तापमान गिर जाता है और ठंडा हो जाता है।